" हिरोशिमा डे " की पूर्व संध्या पर दिनांक ०५-०८-२०११ को सेव कल्चरल
values foundation एवं येश्वर्याज सेवा संस्थान के सयुक्त तत्वाधान में "
परमाणु उर्जा और भविष्य " विषयक संगोष्ठी
स्थान : एफ - २३७६ राजाजीपुरम , लखनऊ , उत्तर प्रदेश - २२६०१७
समय : सायं ४ बजे से ६ बजे
संपर्क : ९३६९६१३५१३ , ९१९८८६४१५०
1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम चरण के दौरान, संयुक्त राज्य
अमेरिका ने जापान में हिरोशिमा और नागासाकी के शहरों के खिलाफ दो परमाणु
बम विस्फोट, 6 अगस्त, 1945 को पहली और 9 अगस्त, 1945 को दूसरी बार प्रयोग
किया | यह दो घटनाएँ ही युद्ध इतिहास में परमाणु हथियारों के प्रयोग
की एकमात्र घटनाएँ हैं परन्तु परमाणु बम की असीम ताक़त के पीछे भागते
देशों की अंधी दौड़ ने संसार को एक ऐसे विन्दु पर लाकर छोड़ दिया है कि
यदि अब युद्ध हुआ तो इस धरती पर जीवन पल भर में समाप्त हो जायेगा और
युद्ध हे बाद जीवन की संभावनाएँ भी नगण्य भर रह जाएँगी |
हिरोशिमा परमाणु बम आपदा के बाद यह एक प्रमुख प्रश्न है कि क्या हमारे
देश को भी परमाणु अस्त्रों को इकट्ठा करने की अंधी दौड़ में शामिल होना
चाहिए अथवा अंतर्राष्ट्रीय परिद्रश्य में देश की वर्तमान परमाणु नीति
को लेकर पुनर्विचार की आवश्यकता है ?आज की संगोष्ठी इसी विषय को लेकर
आयोजित की गयी है |
परमाणु शक्ति का प्रयोग बिजली बनाने में भी हो रहा है | .परमाणु शक्ति
भारत में चौथा सबसे बड़ा बिजली का स्रोत है | बिजली के प्रमुख स्रोत
थर्मल, पनबिजली और नवीकरणीय स्रोतों के बाद ही यह बिजली का स्रोत है |
भारत में छह परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के 20 परमाणु रिएक्टर ४७८० मेगावाट
पैदा करते हैं जबकि अन्य संयंत्रों के निर्माण के पश्चात अतिरिक्त 2720
मेगावाट उत्पन्न होने की उम्मीद है| भारत में घरेलू यूरेनियम भंडार छोटे
हैं और देश को यूरेनियम के आयात पर निर्भर रहना पड़ता है | 1990 के दशक
के बाद से, रूस भारत को परमाणु ईंधन का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता था |
घरेलू यूरेनियम भंडार घटने के कारण भारत में परमाणु ऊर्जा से बिजली
उत्पादन में 2006 से 2008 12.83%तक गिरावट आई | सितम्बर 2008 में भारत
ने कई अन्य देशों के साथ असैनिक परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी सहयोग पर
द्विपक्षीय सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं | 2032 तक ६४,००० मेगावाट परमाणु
बिजली उत्पादन में वृद्धि करने की योजना के साथ भारत का परमाणु ऊर्जा
उद्योग तेजी से विस्तार के दौर से गुजर रहा है | आईटीईआर परियोजना में
अपनी भागीदारी के माध्यम से परमाणु संलयन रिएक्टरों और थोरियम आधारित
फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों के विकास में भारत विश्व में अपनी एक पहचान बनाता
जा रहा है |
किन्तु जापानी परमाणु आपदा के बाद यह एक प्रमुख प्रश्न है कि क्या हमारे
देश को भी परमाणु विद्युत परियोजनायों को लेकर पुनर्विचार की आवश्यकता
है ?आज की संगोष्ठी में इस विषय पर भी परिचर्चा की जाएगी |
संगोष्ठी में लखनऊ के प्रबुद्ध जनमानस , समाजसेवी आदि सहभाग करेंगे | आप
सभी इस संगोष्ठी में प्रतिभाग कर अपने अनमोल विचारों से हमें लाभान्वित
करने हेतु सादर आमंत्रित हैं |
उर्वशी शर्मा
आशीष कुमार श्रीवास्तव
Thursday, August 4, 2011
[rti4empowerment] " हिरोशिमा डे " की पूर्व संध्या पर दिनांक ०५-०८-२०११ को सेव कल्चरल values foundation एवं येश्वर्याज सेवा संस्थान के सयुक्त तत्वाधान में " परमाणु उर्जा और भविष्य " विषयक संगोष्ठी
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