Friday, July 29, 2016

[rti4empowerment] UP : सूचना आयुक्तों द्वारा महिला यौन उत्पीडन करने पर उपराष्ट्रपति सख्त : मुख्य सचिव को लिखा पत्र.

 

UP : सूचना आयुक्तों द्वारा महिला यौन उत्पीडन करने पर उपराष्ट्रपति सख्त : मुख्य सचिव को लिखा पत्र.  
 
 
विशेष समाचार का सार  ©TAHRIR : भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने यूपी के सूचना आयुक्तों द्वारा राज्य सूचना आयोग की सुनवाइयों में आने वाली महिलाओं का उत्पीडन करने की घटनाओं का संज्ञान लेकर राज्य सूचना आयोग में उच्चतम न्यायालय द्वारा विशाखा मामले में दिए निर्देशों के अनुरूप 'यौन उत्पीडन जांच समिति' बनाने के लिए यूपी के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है और इस पत्र की प्रति इस मुहिम की प्रणेता येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव और प्रतिष्ठित समाजसेविका उर्वशी शर्मा को भेजते हुए उर्वशी को अपनी इस मांग के सम्बन्ध में मुख्य सचिव से मिलने की बात कही है जिससे एक ओर जहाँ राज्य सूचना आयोग में महिलाओं का उत्पीडन करने वाले आयुक्तों की पेशानी पर चिन्ता की लकीरें उभरने के साथ-साथ सूचना आयोग में अफरा-तफरी का माहोल साफ-साफ दिखाई दे रहा है तो वहीं इस मुद्दे पर उर्वशी के साथ हिरासत में लिए गए समाजसेवी तनवीर अहमद सिद्दीकी और घर में नज़रबंद रखे गए वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता अशोक कुमार गोयल अपनी यंत्रणा भुलाकर इसे सूचना आयोग को महिलाओं के प्रति सभ्य बनाने की दिशा में किये गए उनके प्रयासों का मीठा प्रतिफल बता रहे हैं.
To access related documents & read full story, please click the link http://tahririndia.blogspot.in/2016/07/up_28.html
 
 
Lucknow/29 July 2016/ Written by Sanjay Sharma ©TAHRIR
 
 
लगता है कि सामाजिक संगठन येश्वर्याज के धुआंधार प्रयासों से यूपी के राज्य सूचना आयोग की सुनवाइयों में आने वाली महिलाओं को यहाँ के सूचना आयुक्तों के उत्पीडन से बचने के लिए 'यौन उत्पीडन जांच समिति' की सौगात जल्द ही मिलने वाली है. येश्वर्याज की सचिव और समाजसेविका उर्वशी शर्मा द्वारा बीते 11 जुलाई को इस सम्बन्ध में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को भेजे गए मांग पत्र का संज्ञान लेकर अपने सचिवालय के माध्यम से उर्वशी का मांगपत्र मूल रूप में यूपी के मुख्य सचिव को भेजते हुए मुख्य सचिव को इस मामले में समुचित ध्यान देने के निर्देश दिए है. उपराष्ट्रपति सचिवालय ने इस पत्र की प्रति उर्वशी को भी भेजते हुए इस मांग के सम्बन्ध में मुख्य सचिव से मिलने की बात भी कही है.
 
 
बताते चलें कि सूचना आयोग में यौन उत्पीडन जांच समिति बनाने और सभी सुनवाई कक्षों में आडिओ-वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू कराने की मांग पूरी किये बिना बीते 11 जुलाई को आरटीआई भवन के उद्घाटन पर भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, यूपी के राज्यपाल राम नाईक और यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का विरोध करने की घोषणा के चलते येश्वर्याज की सचिव उर्वशी और कोषाध्यक्ष तनवीर अहमद सिद्दीकी को बीते 10 जुलाई की रात 9 बजे हिरासत में लेकर अगले दिन कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद रिहा किया गया था और येश्वर्याज के अध्यक्ष अशोक कुमार गोयल को इसी अवधि में उनके आवास पर नज़रबंद कर दिया गया था. यही नहीं येश्वर्याज के  बाकी सदस्यों को भी अवैध पुलिसिया उत्पीडन की सम्भावना के  चलते भूमिगत होना पड़ा था. संगठन के सदस्यों पर शासन-प्रशासन की कड़ी निगाह के चलते आम जनता येश्वर्याज की मदद को सामने आई जिसने शासन-प्रशासन की आँखों में धूल झोंककर राजधानी की हृदयस्थली कहे जाने वाले हजरतगंज चौराहे के निकट स्थित महात्मा गांधी पार्क में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न 2 बजे तक धरना-प्रदर्शन किया और जमानत पर रिहा होते ही उर्वशी ने उपराष्ट्रपति को यह मांगपत्र प्रेषित किया जिसे अब उपराष्ट्रपति ने यूपी के मुख्य सचिव को भेजा है.
 
 
 
उर्वशी ने एक विशेष बातचीत में बताया कि सूचना आयोग आने वाले आरटीआई आवेदकों के साथ अधिकांश सूचना आयुक्तों का व्यवहार आपत्तिजनक होता है और सूचना आयुक्तों द्वारा सुनवाइयों के दौरान प्रायः ही महिला आरटीआई आवेदकों के समक्ष महिलाओं की शालीनता को भंग करने वाले शब्दों का खुलकर प्रयोग किया जाता है. उर्वशी ने बताया कि सूचना आयोग में महिला यौन उत्पीडन जांच समिति बनने के बाद महिलाएं को अपने उत्पीडन की शिकायतें करने का एक मंच मिल जायेगा और शिकायतों के डर से सूचना आयुक्तों का व्यवहार भी सुधरने की उम्मीद की जा सकती है साथ ही साथ सुनवाइयों की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू होने के बाद  सूचना आयुक्त आरटीआई आवेदकों से दुर्व्यवहार नहीं कर पायेंगे . बकौल उर्वशी, यदि वे उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग और महिला यौन उत्पीडन जांच समिति का गठन कराने में कामयाब हो जाती हैं तो उनका और उनके साथी तनवीर का पुलिस हिरासत में रहना सार्थक हो जाएगा.  
 
 
 
©TAHRIR
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Sanjay Sharma is a Lucknow based freelancer and President at TAHRIR. He can be contacted at associated.news.asia@gmail.com Mobile/Whatsapp No. 7318554721.
 
To download related documents ©TAHRIR ( These downloaded documents can be reproduced/used only with specific mention of this TAHRIR blog ), please click here http://tahriruploads.blogspot.in/2016/07/vice-president-hamid-ansaris-letter-to.html

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Posted by: urvashi sharma <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
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Thursday, July 28, 2016

[rti4empowerment] लोकपाल एक्ट में संशोधन मोदी सरकार का भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का प्रयास: संजय शर्मा

 


 
विशेष समाचार का सार  ©yaishwaryaj: भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर मनमोहन सिंह की सरकार को हटाकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई नरेंद्र मोदी सरकार 2 साल बाद ही भ्रष्टाचार के मुद्दे पर खुद भी घिरती नज़र आ रही है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मानवाधिकार कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा ने लोकसभा में लोकपाल व लोकायुक्त अधिनियम में हालिया संशोधन को मंजूरी देने के मामले को मोदी सरकार का भ्रष्टाचार को पोषित करने वाला एक कदम बताते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है.
To read full story, please click the link  http://upcpri.blogspot.in/2016/07/blog-post_74.html
 
 
Lucknow/28 July 2016/ Written by Urvashi Sharma  ©yaishwaryaj
गौरतलब है कि लोकसभा ने बीते बुधवार को लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 की धारा 44 में संशोधन को मंजूरी प्रदान कर दी है जिसमें केंद्रीय लोक सेवकों और एनजीओ के लिए अपनी सम्पत्ति एंव देनदारी की घोषणा करने की समयसीमा से पांचवीं बार छूट दी गई है.मोदी सरकार का कहना है कि क्योंकि इस विधेयक को विस्तार से चर्चा के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजा जा रहा है इसलिए इसकी रिपोर्ट आने तक के लिए सम्पत्ति और देनदारी की घोषणा करने की समयसीमा को बढ़ाया गया है.
 
 
 
मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत समाजसेवी संजय शर्मा मोदी सरकार के इस तर्क से सहमत नहीं है.संजय के अनुसार यदि सरकार की मंशा साफ थी तो इस संशोधन विधेयक को एजंडे में शामिल कर चर्चा करने के बाद इसे पारित कराया जाता. संजय ने सरकार के इस कदम को भ्रष्ट अधिकारियों के दवाव में लोकपाल कानून को कमजोर करने की साजिश बताते हुए मोदी सरकार के इस कदम की भर्त्सना की है.
 
 
 
 
 
संजय ने बताया कि लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 के तहत अधिसूचित नियमों के मुताबिक प्रत्येक लोकसेवक को अपनी सम्पत्ति की घोषणा के साथ अपनी पत्नी या पति और आश्रित बच्चों की संयुक्त सम्पत्ति और देनदारियों की भी घोषणा करना जरूरी है पर जनवरी 2014 को कानून के प्रभाव में आने के बाद से सरकार ने इन घोषणाओं को करने की समय सीमा में पांच बार विस्तार करके सिद्ध कर दिया है कि वह उच्च पदों पर नियुक्त अधिकारियों के भ्रष्टाचार को उजागर करने के  मुद्दे पर गंभीर तो नहीं ही है साथ ही साथ भ्रष्ट अधिकारियों के साथ साधक-सिद्धक जैसा गठजोड़ बनाकर काम कर रही है और अधिकारी और सरकार दोनों ही अपना-अपना उल्लू सीधा कर आम जनता के साथ धोखाधड़ी कर रहे है.
 
 
संजय ने बताया कि   लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 में संशोधन हेतु पेश बिल नंबर 185/2016 के द्वारा सरकार अधिनियम की धारा 44 और 59 में संशोधन करने जा रही है. लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 की मूल मंशा के विपरीत सरकार लोकसेवक को उसकी  पत्नी या पति और आश्रित बच्चों की संयुक्त सम्पत्ति और देनदारियों की घोषणा से छूट देकर धारा 44 को केवल लोकसेवक तक ही सीमित करने जा रही है. यही नहीं अब तक धारा 44 में घोषित की गयी सम्पत्तियों  और देनदारियों को वेबसाइट्स पर सार्वजनिक किया जाना अनिवार्य था किन्तु मोदी सरकार इस संशोधन द्वारा इस अनिवार्यता को ख़त्म करके उच्च पदस्थ अधिकारियों की संपत्तियों को गोपनीयता के दायरे में लाने जा रही है.
 
 
 
 
 
 
बकौल संजय सरकार के इस कदम से भ्रष्ट लोकसेवकों को अपनी काले कमाई को पत्नी या पति और आश्रित बच्चों के नाम संपत्ति जमा करने की खुली छूट मिल जायेगी जिससे उच्च पदों पर भ्रष्टाचार में और भी बढ़ोत्तरी तो होगी ही साथ ही साथ उच्च पदस्थ अधिकारियों की संपत्ति की घोषणाओं को पब्लिक डोमेन से हटाकर  सरकारी रिकॉर्ड तक सीमित रखने के कारण सरकारें इन अधिकारीयों को अपने मनमाफिक कार्य करने के लिए ब्लैकमेल भी कर सकेंगी जिसके कारण अधिकारी जनहित के बजाय सरकारों के निहित हित के लिए काम करने को प्रवृत होंगे. संजय के अनुसार इस बिल के पास होने से जहाँ एक ओर बेईमान और चाटुकार अधिकारी उत्साहित होंगे तो वहीं ईमानदार और कर्मठ अधिकारी हतोत्साहित होंगे जिसका अंतिम परिणाम सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की बढ़ोत्तरी के रूप में सामने आएगा.
 
 
 
 
संजय ने बताया कि वे प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर धारा 44 के प्राविधान हटाने के सम्बन्ध में भारत सरकार को प्राप्त सभी ज्ञापनों को सार्वजनिक करने  की मांग कर रहे है और वे मोदी सरकार द्वारा लाये जा रहे इस बिल के नकारात्मक पहलुओं को आम जनता के बीच ले जाकर इस मुद्दे को एक देशव्यापी आन्दोलन बनाने का कार्य आरम्भ करने जा रहे हैं.
 ©yaishwaryaj
( This news item can be reproduced/used but only with specific mention of this YAISHWARYAJ  blog )
Urvashi Sharma is a Lucknow based freelancer and Secretary at YAISHWARYAJ. She can be contacted at rtimahilamanchup@gmail.com Mobile 9369613513.
 
 

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