Friday, October 31, 2014

[rti4empowerment] वैद्युत ऊर्जा के प्रवंधन में माया के मुकाबले अखिलेश अक्षम Akhilesh inefficient to Mayawati in Energy Management: यूपी की विद्युत आवश्यकता का महज 19.65% उत्पादन निजी क्षेत्र द्वारा only 19.65% of total Energy requirement of UP Produced by Private Sector: ऊर्जा क्षेत्र में पूंजीनिवेश के सरकारी दावे खोखले : 14500 मेगावाट है यूपी की विद्युत आवश्यकता : केवल 2850 मेगावाट उत्पादन हेतु ही किया गया है निजी क्षेत्र द्वारा निवेश : लगभग 1400 मेगावाट वैद्युत ऊर्जा की कमी है यूपी में [1 Attachment]

 
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लखनऊ l कहने को तो उत्तर प्रदेश भारत का सर्वाधिक आवादी वाला प्रदेश होने के कारण औधोगिक घरानों , पूंजीपतियों और निवेशकों के लिए सर्वाधिक संभावनाओं वाला प्रदेश होना चाहिए पर बदहाल कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार को पोषित करने के निहितार्थ लागू छद्म प्रशासनिक लालफीताशाही और ऊर्जा की कमी के चलते ही सूबे में औधोगिक क्षेत्रों में बड़े पूंजीनिवेश की दर लगभग नगण्य है l यह इस
प्रदेश का दुर्भाग्य ही है कि आजादी के 67 साल बाद भी उत्तर प्रदेश पर पूंजीपतियों का विश्वास जम नहीं पाया है और आज यूपी की विद्युत आवश्यकता का महज 19.65% उत्पादन ही निजी क्षेत्र द्वारा किया जा रहा है l

कहने को तो सूबे की सभी सरकारें ऊर्जा क्षेत्र में पूंजीनिवेश के बड़े बड़े सरकारी दावे करती रही है और प्रदेश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की बात करती हैं पर सामाजिक संस्था 'तहरीर'* के संस्थापक ई० संजय शर्मा की एक आरटीआई ने इन सरकारी दावों की पोल खोल दी है l


*'तहरीर' { Transparency, Accountability & Human Rights' Initiative for Revolution – TAHRIR } लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ उत्तर प्रदेश में जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था है l

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के ऊर्जा क्रय अनुबंध निदेशालय के जनसूचना अधिकारी कल्लन प्रसाद द्वारा संजय को दिए गए जबाब के अनुसार यूपी में निजी क्षेत्र में रोजा तापीय विधुत परियोजना में 1200 मेगावाट, लैंको अनपरा तापीय परियोजना में 1200 मेगावाट और बजाज एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 5 परियोजनाओं में कुल 450 मेगावाट बिजली उत्पादन हेतु पूंजीनिवेश किया गया है l संजय बताते हैं कि
इस प्रकार सूबे में केवल 2850 मेगावाट उत्पादन हेतु ही निजी क्षेत्र द्वारा निवेश किया गया है जबकि वर्ष 2014-15 क़े लिए यूपी की विद्युत आवश्यकता लगभग 14500 मेगावाट है और सूबे में 1400 मेगावाट विद्युत ऊर्जा की कमी है l

संजय बताते हैं कि आरटीआई में दिए गए इस जबाब के अनुसार यूपी ने पूर्ववर्ती सीएम मायावती के कार्यकाल में एनर्जी एक्सचेंज से वर्ष 2011 -12 में 34.3 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी थी जो वर्तमान सीएम अखिलेश यादव के सत्ता संभालने के बाद और वर्ष 2012 -13 में 45.5 मिलियन यूनिट था पर वर्ष 2013 -14 में आश्चर्यजनक रूप से बढ़कर 1936.38 मिलियन यूनिट हो गया जबकि आम जनता को विद्युत आपूर्ति के सन्दर्भ में कोई राहत
नहीं मिली थी l संजय बताते हैं कि वर्ष 2011-12 में मायावती के कार्यकाल में भी यूपी की विद्युत आवश्यकता लगभग 13947 मेगावाट थी l

संजय का कहना है कि वर्ष 2014 -15 में भी मात्र 6 माह में सितम्बर 2014 तक यूपी ने एनर्जी एक्सचेंज से1518.23 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी है और 1251.14 मिलियन यूनिट बिजली बैंकिंग के जरिये क्रय की है जो पिछले चार वर्षों में सर्वाधिक है पर इतने पर भी आम जनता का विद्युत आपूर्ति के लिए त्राहि-त्राहि करना स्वतः सिद्ध करता है कि वैद्युत ऊर्जा के प्रवंधन में अखिलेश यादव पूर्ववर्ती सीएम मायावती
मुकाबले अक्षम रहे हैं l

वर्ष 2016-17 में यूपी की विद्युत आवश्यकता बढ़कर लगभग 19622 मेगावाट हो जाने के मद्देनज़र कुशल ऊर्जा प्रवंधन की आवश्यकता पर बल देते हुए संजय ने 24 घंटे निर्वाध विधुत आपूर्ति पाने को आम नागरिक का मानवाधिकार बताते हुए सरकार से अपनी जबाबदेही को सच्चे दिल से आत्मसात करते हुए पारदर्शिता के साथ काम करके कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने और भ्रष्टाचार को पोषित करने के निहितार्थ लागू
छद्म प्रशासनिक लालफीताशाही को समाप्त कर सूबे में विद्युत ऊर्जा के उत्पादन में निजी क्षेत्र द्वारा पूंजीनिवेश के अवसरों को अमली जामा पहनाकर प्रदेश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की अपील भी की है l

Scanned Copy of two pages of RTI reply is attached.

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Thursday, October 30, 2014

[rti4empowerment] REPORT: 'दंगा बैंक' बना यूपी, माया-अखिलेश नाकारे!

 

http://www.lucknow.amarujala.com/feature/city-news-lkw/mayawati-and-akhilesh-both-cannot-stop-riots-in-up-hindi-news/

REPORT: 'दंगा बैंक' बना यूपी, माया-अखिलेश नाकारे!
टीम डिजीटल
गुरुवार, 30 अक्टूबर 2014
अमर उजाला, लखनऊ
Updated @ 3:42 PM IST
तहरीर की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
मायावती हों या अखिलेश यादव, दोनों ही सीएम यूपी में दंगों पर लगाम लगाने में पूरी तरह से विफल रहे हैं। यूपी में हो रहे दंगों के आकंडे इस बात के साक्षी हैं। 2010 से लेकर 2013 तक लगातार प्रदेश में दंगों का ग्राफ बढ़ा है।

2010 की तुलना में 2011 में प्रदेश में होने वाले दंगों की घटनाएं 19.97% तक बढ़े। वहीं 2011 से 2012 तक दंगे 35.57% त‌क बढ़े हैं। अगर 2012 से 2013 तक दंगों का प्रतिशत देखा जाए तो ये 45 प्रतिशत तक बढ़ गए।

यूपी की सरकार महज एक दंगा बैंक बनकर रह गई है। उत्तर प्रदेश में चाहें मायावती हों या अखिलेश यादव, ये दोनों ही सीएम के रूप में दावे तो बड़े बड़े करते रहे पर यूपी के दंगों पर लगाम लगाने में पूर्णतः विफल ही रहे हैं।

इस कड़वी हक़ीक़त का खुलासा सामाजिक संस्था 'तहरीर' के संस्थापक संजय शर्मा की एक आरटीआई पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के जन सूचना अधिकारी के पी उदय शंकर द्वारा दिए गए एक जवाब से हुआ है।
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आगे पढ़ें >> आंकड़ों से जानिए दंगों का ग्राफ

REPORT: 'दंगा बैंक' बना यूपी, माया-अखिलेश नाकारे!
आंकड़ों से जानिए दंगों का ग्राफ
आंकड़ों से जानिए दंगों का ग्राफ
'तहरीर' लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ उत्तर प्रदेश में जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था है।

संजय को उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार उत्तर प्रदेश में साल 2010 में 4186, साल 2011 में 5022, साल 2012 में 5676 और साल 2013 में दंगों की 6089 घटनाएं सरकारी आंकड़ों में दर्ज हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 2010 से मार्च 2012 तक सूबे की कमान मायावती के हाथ में थी और मार्च 2012 से वर्ष 2013 तक की अवधि में अखिलेश यादव सूबे के मुखिया रहे हैं।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में साल 2011 में साल 2010 के मुकाबले दंगों की 836 अधिक घटनाएं (19.97%) हुईं। साल 2012 में साल 2010 के मुकाबले दंगों की 1489 अधिक घटनाएं (35.57%) हुईं तो वही साल 2013 में साल 2010 के मुकाबले� दंगों की 1903 अधिक घटनाएं (45%) हुईं हैं।

संजय कहते हैं कि इन आकड़ों के साल-दर-साल विश्लेषण से भी यह स्पष्ट है कि साल 2010 से 2013 तक यूपी में लगातार दंगों की घटनाओं में वृद्धि ही हो रही है।
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आगे पढ़ें >> यूपी की सबसे बड़ी बाधा बन गए दंगे

REPORT: 'दंगा बैंक' बना यूपी, माया-अखिलेश नाकारे!
यूपी की सबसे बड़ी बाधा बन गए दंगे
यूपी की सबसे बड़ी बाधा बन गए दंगे
संजय का कहना है कि सभी सरकारें दंगे रोकने के मामले में महज कोरी वयानवाजी कर जनता को गुमराह ही करती� रही हैं। ये दोनों सरकारें प्रदेश में दंगे रोकने में पूर्णतयाः विफल रही हैं। सूबे में दंगों की संख्या में हो रही बेतहाशा उत्तरोत्तर वृद्धि पर तंज कसते हुए संजय कहते है कि इतनी तेजी से तो बैंक में रखा पैसा भी नहीं बढ़ता है।

सरकार को दंगों का उच्च ब्याजदर पर डिपाजिट कर जनता को ब्याज समेत वापस करने बाले 'दंगा बैंक' की संघ्या दी है।

दंगों को उत्तर प्रदेश के सामाजिक और आर्थिक विकास के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा बताया गया। सरकारें भी दंगे हो जाने के बाद
महज सरकारी खानापूर्ति कर मामले की इतिश्री कर देती हैं पर दंगों का असली देश स्थानीय जनता सालों साल झेलती रहती है।

संजय ने अब दंगों के परिपेक्ष्य में प्रशासनिक अमले और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की स्पष्ट जबाबदेही के निर्धारण के लिए सामाजिक संस्था 'तहरीर' के माध्यम से एक व्यापक मुहिम चलाने का ऐलान किया है।

संस्‍था ने इस सम्बन्ध में देश� के प्रधानमंत्री , गृहमंत्री और� सूबे के राज्यपाल, मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रशासनिक अमले और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को दंगों को रोकने के उपायों के क्रियान्वयन के प्रति गंभीर बनाने हेतु नियम-कानून� बनाने� की मांग करने का भी ऐलान किया है।

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Wednesday, October 29, 2014

[rti4empowerment] Only 7% IAS officers filed property returns : Out of the serving 4,619 officers, only 311 IAS officers have filed the returns.

 


http://www.sunday-guardian.com/news/only-7-ias-officers-filed-property-returns

Only 7% IAS officers filed property returns

Out of the serving 4,619 officers, only 311 IAS officers have filed the returns.

NAVTAN KUMAR New Delhi | 25th Oct 2014


DoPT's IPR rules are listed on its website.

everal Indian Administrative Service (IAS) officers are reluctant to file annual property returns, a mandatory obligation under the Lokpal and Lokayukta Act.

According to an RTI reply, the Department of Personnel and Training (DoPT) has said that only "311 IAS officers have filed online property returns in the prescribed format as mentioned in the Lokpal and Lokayukta Act".

Though the sanctioned strength of the IAS is 6,270, the total number of serving IAS officers in the country is 4,619, as per information provided by the DoPT. That means only about 7% of them have filed their returns.

In July, the DoPT under the Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions, had issued a notification that under the Lokpal and Lokayuktas Act, every public servant must every year file a declaration, information and annual returns of his assets and liabilities as of 31 March on or before 31 July. However, for the current year, the last date of filing such returns was postponed to 15 September.

The government had introduced the facility of filing the returns online, for which an application named Property Related Information System (PRISM) has been designed.

"If IAS officers themselves do not follow the government's directives, how can they expect others to do so?" asked Sanjay Sharma, the Lucknow-based RTI activist who filed the query.

"Corruption is another aspect of this issue. The fact that they are reluctant to share information about their property hints at possible corruption. Our Prime Minister's USP is good governance. If IAS officers conceal information about their property, how can Narendra Modi's vision of providing good and efficient governance be realised?" Sharma asked.

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[rti4empowerment] अखिलेश सरकार ने पुनः टाला सूचना आयुक्तों की बैठक

 

http://www.jansattaexpress.net/print/8510.html

अखिलेश सरकार ने पुनः टाला सूचना आयुक्तों की बैठक

'तहरीर' के धरने और सूचना आयुक्तों को चुनौती देने से दबाब में आयी सरकार ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त और 1 सूचना आयुक्त के चयन के लिए बीते बृहस्पतिवार होने वाली बैठक स्थगित कर दी है। 'तहरीर' के विरोध के चलते ही यह बैठक इसके पहले भी एक बार स्थगित हो चुकी है।

अखिलेश सरकार ने पुनः टाला सूचना आयुक्तों की बैठक 'तहरीर' के धरने और सूचना आयुक्तों को चुनौती देने से दबाब में आयी सरकार ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त और 1 सूचना आयुक्त के चयन के लिए बीते बृहस्पतिवार होने वाली बैठक स्थगित कर दी है। 'तहरीर' के विरोध के चलते ही यह बैठक इसके पहले भी एक बार स्थगित हो चुकी है।

उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त का पद 30 जून 2014 से खाली है। इससे पहले सरकार ने इन दोनों पदों पर चयन के लिए पहले 28 जून 2014 को चयन समिति की बैठक बुलाई थी जिसमें बिना आवेदन के सीधे चयन समिति द्वारा इन दोनों पदों पर चयन की तैयारी थी जिसका कड़ा विरोध किया गया था और पूर्व की भांति आवेदन मंगाने की मांग की गयी थी। हमारे दबाब में यह बैठक स्थगित कर दी गई
थी और प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा बीते अगस्त में इन दोनों पदों पर चयन के लिए आवेदन मांगे गए थे।

लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ उत्तर प्रदेश में जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था 'तहरीर' द्वारा आरटीआई एक्ट की नौवीं सालगिरह पर दिनांक 12 अक्टूबर 2014 को राजधानी लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान धरना स्थल पर उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के निराशाजनक प्रदर्शन के विरोध में धरना और यूपी के हालिया कार्यरत 9 सूचना
आयुक्तों पर अक्षमता का आरोप लगाते हुए उनको कैमरे के सामने एक्ट पर खुली बहस की चुनौती के कार्यक्रम का आयोजन येश्वर्याज सेवा संस्थान, एक्शन ग्रुप फॉर राइट टु इनफार्मेशन , आरटीआई कॉउंसिल ऑफ़ यूपी , ट्रैप संस्था अलीगढ , सूचना का अधिकार कार्यकर्ता एसोसिएशन, पीपल्स फोरम, मानव विकास सेवा समिति मुरादाबाद , जन सूचना अधिकार जागरूकता मंच,भ्रष्टाचार हटाओ देश बचाओ मंच , एसआरपीडी
मेमोरियल समाज सेवा संस्थान , आल इण्डिया शैडयूल्ड कास्ट्स एंड शैडयूल्ड ट्राइब्स एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन, भागीदारी मंच, सार्वजनिक जबाबदेही भारत निर्माण मंच आदि संगठनों के साथ संयुक्त रूप से किया गया. कार्यक्रम में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया लखनऊ चैप्टर, सोसाइटी फॉर फ़ास्ट जस्टिस लखनऊ और उत्तर प्रदेश रोडवेज संविदा कर्मचारी संघ ने भी तहरीर को समर्थन प्रदान
करते हुए शिरकत की थी l 'तहरीर' इन सभी संगठनों को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित करता है l इस सम्बन्ध में ज्ञापन को जिला प्रशासन के माध्यम से भेजने के साथ साथ हमारे द्वारा सीधे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल महोदय को तथा भारत के मुख्य न्यायाधीश को भी प्रेषित कर दिया गया है जो इस स्टेटस के साथ अपलोड किया जा रहा है।

यदि आपके पास भी मीडिया जगत से संबंधित कोई समाचार या फिर आलेख हो तो हमें jansattaexp@gmail.com पर य़ा फिर फोन नंबर 9650258033 पर बता सकते हैं। हम आपकी पहचान हमेशा गुप्त रखेंगे। - संपादक

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Tuesday, October 21, 2014

[rti4empowerment] सोचिये छात्रों को क्या और कैसी शिक्षा देता होगा अखिलेश राज के भ्रष्ट आईएएस अधिकारी प्रमुख सचिव समाज कल्याण सुनील कुमार का कृपापात्र ये श्री ४२० अध्यापक पवन कुमार मिश्रा ?

 

सोचिये छात्रों को क्या और कैसी शिक्षा देता होगा अखिलेश राज के भ्रष्ट आईएएस अधिकारी प्रमुख सचिव समाज कल्याण सुनील कुमार का कृपापात्र ये श्री ४२० अध्यापक पवन कुमार मिश्रा ?

http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20141021g_006163009&ileft=619&itop=403&zoomRatio=211&AN=20141021g_006163009

पाॅलीटेक्निक का कार्यशाला अधीक्षक कोर्ट में तलब

लखनऊ (ब्यूरो)। फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे पालीटेक्निक कॉलेज में नौकरी करने के आरोपों को लेकर राजकीय गोविन्द बल्लब पंत पालीटेक्निक के कार्यशाला अधीक्षक पवन कुमार मिश्रा के खिलाफ सीजेएम सुनील कुमार ने सम्मन जारी किया है। कोर्ट ने आरोपी को तलब करते हुए मामले की सुनवाई के लिए 22 नवंबर की तारीख तय की है।

पत्रावली के अनुसार राजाजीपुरम की रहने वाली उर्वशी शर्मा ने 28 जनवरी 2008 को काकोरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके पति संजय शर्मा का चयन 29 जून 1995 को लोक सेवा आयोग से हो गया था। इसी बीच मोहान रोड स्थित गोविन्द बल्लभ पंत पालीटेक्निक में 40 रुपये प्रति कक्षा के हिसाब से पढ़ा रहे पवन कुमार मिश्रा ने हाईकोर्ट में खुद को बेरोजगार तथा मैकेनिकल इंजीनियर बताकर नियुक्ति पर स्टे
ले लिया था। कहा गया कि पवन मिश्रा ने खुद को मैकेनिकल इंजीनियर बताया जबकि वह प्रोडक्शन में इंजीनियर है। आरोप लगाया गया कि पवन मिश्रा ने नौकरी प्राप्त करने के लिए जिस समयावधि में खुद को बेरोजगार बताया था उसी समय वह अवध इंडस्ट्रीज का कार्य अनुभव का प्रमाण पत्र लगाकर सेवा लाभ ले लिया। इस वजह से संजय शर्मा को 5 वर्ष से अधिक समय तक सेवा से वंचित रहना पड़ा।

काकोरी पुलिस ने मामले की विवेचना के बाद 20 सितंबर 2008 को मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। जिसको उर्वशी शर्मा द्वारा चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने वादिनी के पेश किए साक्ष्य देखने के बाद पवन कुमार मिश्रा को प्रथम दृष्टया आरोपी पाते हुए तलब किया है।

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Sunday, October 19, 2014

[rti4empowerment] 'तहरीर' के धरने और सूचना आयुक्तों को चुनौती देने से दबाब में आयी सरकार ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त और 1 सूचना आयुक्त के चयन के लिए बीते बृहस्पतिवार होने वाली बैठक स्थगित

 

Taken from Facebook Wall of Sanjay Sharma

'तहरीर' के धरने और सूचना आयुक्तों को चुनौती देने से दबाब में आयी सरकार ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त और 1 सूचना आयुक्त के चयन के लिए बीते बृहस्पतिवार होने वाली बैठक स्थगित कर दी है l 'तहरीर' के विरोध के चलते ही यह बैठक इसके पहले भी एक बार स्थगित हो चुकी है।

उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त और 1 सूचना आयुक्तका पद 30 जून 2014 से खाली है। इससे पहले सरकार ने इन दोनों पदों पर चयन के लिए पहले 28 जून 2014 को चयन समिति की बैठक बुलाई थी जिसमें बिना आवेदन के सीधे चयन समिति द्वारा इन दोनों पदों पर चयन की तैयारी थी जिसका हमारे द्वारा कड़ा विरोध किया गया था और पूर्व की भांति आवेदन मंगाने की मांग की गयी थी l हमारे दबाब में यह बैठक
स्थगित कर दी गई थी और प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा बीते अगस्त में इन दोनों पदों पर चयन के लिए आवेदन मांगे गए थे l

लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ उत्तर प्रदेश में जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था 'तहरीर' द्वारा आरटीआई एक्ट की नौवीं सालगिरह पर दिनांक 12 अक्टूबर 2014 को राजधानी लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान धरना स्थल पर उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के निराशाजनक प्रदर्शन के विरोध में धरना और यूपी के हालिया कार्यरत 9 सूचना
आयुक्तों पर अक्षमता का आरोप लगाते हुए उनको कैमरे के सामने एक्ट पर खुली बहस की चुनौती के कार्यक्रम का आयोजन येश्वर्याज सेवा संस्थान, एक्शन ग्रुप फॉर राइट टु इनफार्मेशन , आरटीआई कॉउंसिल ऑफ़ यूपी , ट्रैप संस्था अलीगढ , सूचना का अधिकार कार्यकर्ता एसोसिएशन, पीपल्स फोरम, मानव विकास सेवा समिति मुरादाबाद , जन सूचना अधिकार जागरूकता मंच,भ्रष्टाचार हटाओ देश बचाओ मंच , एसआरपीडी
मेमोरियल समाज सेवा संस्थान , आल इण्डिया शैडयूल्ड कास्ट्स एंड शैडयूल्ड ट्राइब्स एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन, भागीदारी मंच, सार्वजनिक जबाबदेही भारत निर्माण मंच आदि संगठनों के साथ संयुक्त रूप से किया गया l कार्यक्रम में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया लखनऊ चैप्टर, सोसाइटी फॉर फ़ास्ट जस्टिस लखनऊ और उत्तर प्रदेश रोडवेज संविदा कर्मचारी संघ ने भी तहरीर को समर्थन प्रदान
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[rti4empowerment] Fw: [ForensicMedicineSpecialists-AIMDDA] 10 PERCENT MINIMUM CORRUPTION IN ALL HEALTH CARE DEALS

 

 
ALL INDIA MD/MS/DNB DOCTORS ASSOCIATION.Regd.
Registered association of doctors,Bangalore


WEBSITE http://aimddadoctors.blogspot.in,www.community.eldis.org/aimdda, www.knol.google.com/k/aim-dda -FOR MEMBERLIST OF ALL INDIA MD/MS/DNB DOCTORS ASSOCIATION,A TRADE UNION OF INDIAN DOCTORS.You can respond at these email id's,and post your valuable views in the interest of medical education in India-as a national service to 

AIMDDA-PUBLICCAUSES@yahoogroups.com
Dr. Vijayabhaskar MD Founder Vice President
Professor & HOD Biochemistry
Mamata Medical College Khammam.Andhrapradesh.
Email:mvbkar123@yahoo.com

Dr. Narendra.MS(Gen surg) MCh(Oncosurgery)
Consultant oncosurgeon
Kasturba Medical College,Manipal.Karnataka

Dr Mahesh Taru MS,Professor in Anatomy,Malabar Medical College,Calicut

Joint Secretary AIMDDA




On Sunday, 19 October 2014 2:45 PM, "aimdda2007@gmail.com" <aimdda@yahoo.com> wrote:


 
ALL INDIA MD/MS/DNB DOCTORS ASSOCIATION.Regd.
Registered association of doctors,Bangalore

WEBSITE http://aimddadoctors.blogspot.in,www.community.eldis.org/aimdda, www.knol.google.com/k/aim-dda -FOR MEMBERLIST OF ALL INDIA MD/MS/DNB DOCTORS ASSOCIATION,A TRADE UNION OF INDIAN DOCTORS.You can respond at these email id's,and post your valuable views in the interest of medical education in India-as a national service to 

AIMDDA-PUBLICCAUSES@yahoogroups.com
Dr. Vijayabhaskar MD Founder Vice President
Professor & HOD Biochemistry
Mamata Medical College Khammam.Andhrapradesh.
Email:mvbkar123@yahoo.com

Dr. Narendra.MS(Gen surg) MCh(Oncosurgery)
Consultant oncosurgeon
Kasturba Medical College,Manipal.Karnataka

Dr Mahesh Taru MS,Professor in Anatomy,Malabar Medical College,Calicut

Joint Secretary AIMDDA




On Sunday, 19 October 2014 2:44 PM, "aimdda2007@gmail.com" <aimdda@yahoo.com> wrote:


 
ALL INDIA MD/MS/DNB DOCTORS ASSOCIATION.Regd.
Registered association of doctors,Bangalore
OFFICE:

WEBSITE http://aimddadoctors.blogspot.in,www.community.eldis.org/aimdda, www.knol.google.com/k/aim-dda -FOR MEMBERLIST OF ALL INDIA MD/MS/DNB DOCTORS ASSOCIATION,A TRADE UNION OF INDIAN DOCTORS.You can respond at these email id's,and post your valuable views in the interest of medical education in India-as a national service to 

AIMDDA-PUBLICCAUSES@yahoogroups.com
Dr. Vijayabhaskar MD Founder Vice President
Professor & HOD Biochemistry
Mamata Medical College Khammam.Andhrapradesh.
Email:mvbkar123@yahoo.com

Dr. Narendra.MS(Gen surg) MCh(Oncosurgery)
Consultant oncosurgeon
Kasturba Medical College,Manipal.Karnataka

Dr Mahesh Taru MS,Professor in Anatomy,Malabar Medical College,Calicut

Joint Secretary AIMDDA




On Sunday, 19 October 2014 2:40 PM, "'aimdda2007@gmail.com' aimddoctorsassociation@yahoo.com [ForensicMedicineSpecialists-AIMDDA]" <ForensicMedicineSpecialists-AIMDDA@yahoogroups.co.in> wrote:


 
10 PERCENT MINIMUM CORRUPTION IN ALL HEALTH CARE DEALS
HAS HAPPENED IN ALL THE 6 NEW MEDICAL COLLEGES
WHO IS INVOLVED?
WHO IS NOT INVOLVED?
THE DIRECTORS OF ALL MEDICAL COLLEGES ARE NOT CLEAN HANDED
THEY HAVE OPENLY ASKED FOR 10-20% BRIBES -HAS BEEN KNOWN
ASK ANY SUPPLIER-ASK INSTRUMENT SUPPLIERS
ASK THE SUPPLIERS OF X RAY ,CT SCAN MACHINE OR THE C ARM SUPPLIER
YES THEY WILL AGREE THEY PAID 10 PERCENT
TO WHOM?
DID 10-20% MONEY OF GOVERNMENT GOT WASTED IN ESTABLISHING NEW MEDICAL COLLEGES?????
YES
THIS IS THE THRUTH
THERE IS A MINIMUM OF 10% CORRUPTION IN ALL GOVERNMENT MEDICAL COLLEGES -KARNATAKA,MAHARASHTRA OR ANY WHERE
EVERYONE KNOWS THIS
WHO DOES THIS CORRUPTION???
YES THE PERSONS WHO GET THIS PROFIT ARE THE
COLLEGE HIGHER OFFICIALS-THE DIRECTOR,THE PRINCIPAL
THE DIRECTOR OF MEDICAL EDUCATION,AND MAY BE THE SECRETARY,OR IAS OFFICERS
DOES THIS 10% CORRUPTION ALWAYS OCCUR?
DOES NOT THIS 10% CORRUPTION OCCUR IN OLD MEDICAL COLLEGES?
YES ALL DIRECTORS ARE INVOLVED IN SUCH CORRUPT ACTIVITIES
IS IT IMPOSSIBLE TO STOP THIS 10% MINIMUM CORRUPTION???
WELL 
IT
MAY 
BE 
IMPOSSIBLE?????
 
ALL INDIA MD/MS/DNB DOCTORS ASSOCIATION.Regd.


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Saturday, October 18, 2014

[rti4empowerment] उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के भाई के ससुर को सूचना आयुक्त नियुक्त करने का उदाहरण देते हुए सूचना आयोगों में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में भाई-भतीजावाद रोकने के लिए नियमों में संशोधन करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर

 


 
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सूचना आयोग में भाई-भतीजावाद रोकने की मांग
नई दिल्ली, श्याम सुमन
First Published:18-10-14 09:22 PM
Last Updated:18-10-14 09:22 PM
 
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के भाई के ससुर को सूचना आयुक्त नियुक्त करने का उदाहरण देते हुए सूचना आयोगों में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में भाई-भतीजावाद रोकने के लिए नियमों में संशोधन करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है।

लोक प्रहरी संगठन ने याचिका में कहा है कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के नियमों में उम्मीदवारों के लिए सार्वजनिक जीवन में 'ख्यातिलब्ध हस्ती' की परिभाषा स्पष्ट करनी चाहिए, क्योंकि इस श्रेणी के तहत सरकारें अपनी मर्जी के व्यक्तियों को सूचना आयुक्त बना रही हैं, जो न तो स्वतंत्र हैं और न ही निष्पक्ष। इस प्रक्रिया में पारदिर्शता है, क्योंकि शार्ट लिस्ट किए गए लोगों के नाम सार्वजनिक नहीं किए जाते।

लोकप्रहरी के संगठन के संयोजक तथा पूर्व आईएएस एसएन शुक्ला ने कहा कि याचिका में यूपी में हाल ही में आठ सूचना आयुक्त नियुक्त किए गए हैं, जिन्हें हाईकोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस बारे में कानून बना सकता है, क्योंकि सूचना के अधिकार कानून के तहत नियुक्तियों के बारे में नियम अब तक नहीं बनाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट कई फैसलों में तय कर चुका है कि जहां विधायिका ने कानून नहीं बनाया है, वहां नागरिकों के मौलिक अधिकारों को संरक्षित करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप से कानून बनाए जा सकते हैं।

याचिका में शुक्ला ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में 'ख्यातिलब्ध हस्ती' में सामाजिक कार्यो में पद्मभूषण या पद्मविभूषण, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त व्यक्तियों को रखना चाहिए। साथ ही उन्हें व्यापक ज्ञान और अनुभव भी होना चाहिए। यह योग्यता ऐसी हो जिसकी पुष्टि की जा सके।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एचएल दत्तू की पीठ इस याचिका पर 15 दिसंबर को सुनवाई करेगी। लोकप्रहरी की याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट गत वर्ष आपराधिक मामलों में दंडित जनप्रतिनिधियों को तुरंत प्रभाव से अयोग्य घोषित करने का फैसला दिया था।

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Posted by: urvashi sharma <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
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