Sunday, October 5, 2014

[rti4empowerment] e-Invite :उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के निराशाजनक प्रदर्शन के विरोध में सामाजिक संगठन 'तहरीर' के बैनर तले राजधानी लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान धरना स्थल पर 12 अक्टूबर 2014 को पूर्वान्ह 11 बजे से अपरान्ह 03 बजे तक धरना-प्रदर्शन का आयोजन

 

From facebook wall of Sanjay Sharmaji

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उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के निराशाजनक प्रदर्शन के विरोध में
सामाजिक संगठन 'तहरीर' के बैनर तले राजधानी लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान
धरना स्थल पर 12 अक्टूबर 2014 को पूर्वान्ह 11 बजे से अपरान्ह 03 बजे तक
धरना-प्रदर्शन का आयोजन

'तहरीर' उत्तर प्रदेश स्थित सामाजिक संगठन है जो लोक जीवन में पारदर्शिता
संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के
हितार्थ उत्तर प्रदेश में जमीनी स्तर पर कार्यशील है l 'तहरीर' की कार्य
प्रणाली अन्य सामाजिक संगठनों से कुछ भिन्न है l 'तहरीर' का सूत्रवाक्य
"अपनी शक्ति आप" है और 'तहरीर' अपने सदस्यों की समस्याओं का हल करने को
उन सदस्यों को अन्य सामाजिक संगठनों की भाँति अपने पीछे-पीछे दौड़ाकर बार
बार अपने अग्रजनों की श्रेष्ठता दिखाने के बजाये सभी नागरिकों की
आत्मनिर्भरता के सिद्धांत पर कार्य करता है और हमारी कोर टीम अपने
सदस्यों को समुचित रूप से प्रशिक्षित कर उनको उनकी लड़ाई स्वयं ही लड़ने के
लिए तैयार करती है और उनको परदे के पीछे रहकर अप्रत्यक्ष सहायता प्रदान
करते हुए विजयश्री दिलाती है l

आने बाले 12 अक्टूबर को पारदर्शिता संवर्धन के सबसे प्रभावी औजार आरटीआई
एक्ट को लागू हुए 9 वर्ष पूरे हो रहे हैं l आज 'तहरीर' पारदर्शिता विंग
की सभा में यह निर्णय लिया गया कि उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के
निराशाजनक प्रदर्शन के विरोध में सामाजिक संगठन 'तहरीर' के बैनर तले
राजधानी लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान धरना स्थल पर 12 अक्टूबर 2014 को
पूर्वान्ह 11 बजे से अपरान्ह 03 बजे तक धरना-प्रदर्शन किया जायेगा l

उत्तर प्रदेश में पारदर्शिता कानून के क्रियान्वयन की दुर्दशा के सम्बन्ध
में हमारे संगठन ने हाल ही में सूबे के राज्यपाल को एक ज्ञापन प्रेषित
किया था l आरटीआई एक्ट में सूचना आयोग की भूमिका एक्ट के संरक्षक की है
परन्तु दुर्भाग्य है कि उत्तर प्रदेश सूचना आयोग आरटीआई एक्ट के संरक्षक
के स्थान पर एक्ट के प्राविधानों के क्रियान्वयन के मार्ग के विनाशक के
रूप में सामने आ रहा है l

नौ सूचना आयुक्त नियुक्त होने के बाबजूद 55000 से अधिक वादों का लम्वित
होना आयोग में व्याप्त दुर्व्यवस्थाओं का हाल स्वयं ही वयाँ कर रहा है l

नौ सालों में आयोग की नियमावली तक नहीं लागू हो पाई है l आयोग में लंबित
वादों की सुनवाई , नयी अपीलों और शिकायतों पंजीकरण और सुनवाई, आदेशों की
नक़ल देने आदि की कोई स्पष्ट एवं स्थापित व्यवस्था नहीं है l

अभी तक के कार्यकाल में वर्तमान सूचना आयुक्त अधिनियम के वाध्यकारी
प्राविधानों को समझने और क्रियान्वित कराने में पूर्णतया असफल रहे हैं और
सभी आयुक्तों द्वारा वादों की सुनवाई मनमाने ढंग से और अपनी व्यक्तिगत
सनक के आधार पर की जा रही है l हमारा दावा है कि उत्तर प्रदेश सूचना आयोग
का एक भी आदेश विधिक मापदंडों के अनुसार की गयी जांच में पास नहीं हो
पायेगा l

सूचना आयुक्त न तो अधिनियम और कानून जानते हैं और न ही बताने पर जानने का
प्रयास करते हैं l अधिकांश सूचना आयुक्त अधिनियम के तहत प्राप्त शिकायतों
का संज्ञान नहीं ले रहे हैं और इन शिकायतों को सरसरी तौर पर खारिज करने
का असंवैधानिक कार्य कर रहे हैं l 'तहरीर' के एक सदस्य के रूप में मैं
व्यक्तिगत रूप से अकेला ही एक साथ सभी आयुक्तों को अधिनियम के
प्राविधानों पर इन-कैमरा बहस हेतु खुली चुनौती दे रहा हूँ l

सूचना आयोग में बदहाली का आलम ये है कि बिना रिश्वत दिए आयोग के आदेशों
की नक़ल भी नहीं मिलती है l 30 दिन में सूचना देने के लिए बने एक्ट के तहत
आयोग में अपील करने पर 6 माह से 1 साल में सुनवाई का नंबर आता है और अगली
तारीखें भी 30 दिन से 6 माह तक की दी जा रही हैं l

सूचना आयुक्त नागरिकों और आरटीआई कार्यकर्ताओं से मिलने के कतई इच्छुक
नहीं हैं और आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा जनहित के लिए माँगी गयी सूचनाओं
पर दायर अपीलों की सुनवाइयों से पीछा छुड़ाने के लिए कार्यकर्ताओं को
सुनवाई में बेइज़्ज़त करने, उनके साथ बदसलूकी करने और यहाँ तक कि
कार्यकर्ताओं पर सरकारी कार्य में वाधा पंहुचाने की झूठी ऍफ़ आई आर लिखाने
जैसी पतित और तुच्छ हरकतें करने जैसी कारगुजारियां एक सोची समझी रणनीति
के तहत कर रहे हैं l कहना अनुचित न होगा की आयोग में सर्वत्र पूर्णतः
अराजकता व्याप्त है और सूचनार्थी यदि आयोग में है तो मानिए खतरे में है l

आयुक्तों द्वारा पारित आदेश लोकप्राधिकारियों की सुविधानुसार बदलने,
दण्डादेशों को असंवैधानिक रूप से बापस लेने जैसे कारनामों के चलते
'तहरीर' को यह कहने में गुरेज़ नहीं है कि 'विख्यात व्यक्ति' के रूप में
चयन के परदे के पीछे मनोनीत ये सूचना आयुक्त अब अपना असली 'कुख्यात
व्यक्ति' रूप प्रदेश को दिखा रहे हैं जिसका दुष्परिणाम पूरा प्रदेश भुगत
रहा है l

उत्तर प्रदेश में पारदर्शिता कानून की हत्या किये जाने की इन
परिस्थितियों में पारदर्शिता सम्बर्धन के लिए बचनबद्ध संगठन 'तहरीर'
मूकदर्शक बना नहीं रह सकता है और इसीलिये सामाजिक संगठन 'तहरीर' आने बाले
12 अक्टूबर को पारदर्शिता संवर्धन के सबसे प्रभावी औजार आरटीआई एक्ट के
नौवें जन्मदिन पर उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के निराशाजनक प्रदर्शन
के विरोध में अपने बैनर तले राजधानी लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान धरना
स्थल पर 12 अक्टूबर 2014 को पूर्वान्ह 11 बजे से अपरान्ह 03 बजे तक
धरना-प्रदर्शन का आयोजन कर रहा है l

हमें विश्वास है कि उत्तर प्रदेश में पारदर्शिता संवर्धन के लिए कार्यरत
अन्य सभी सामाजिक संगठन भी इन तथ्यों से भली भाति परिचित होंगे एवं वे इस
संक्रमणकाल में चुप नहीं बैठेंगे और 12 अक्टूबर 2014 को होने बाले
धरना-प्रदर्शन में अपने बैनर के साथ प्रतिभाग कर पारदर्शिता के प्रति
अपनी वचनबद्धता सिद्ध करने के हमारे प्रयास को मजबूती अवश्य देंगे l

हमारी सभी सामाजिक संगठनों, नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से अपील है
कि वे इस धरने में अपने अपने बैनर के साथ सम्मिलित होकर पारदर्शिता
सम्बर्धन के हमारे प्रयास को और मजबूती प्रदान करें l

यदि किसी व्यवहारिक समस्या के चलते आप लखनऊ आकर हमारा साथ देने में
असमर्थ हों तो आप अपने शहर में ही इस विषय पर धरने का आयोजन कर इसकी
सूचना हमें मोबाइल 8081898081 या ई मेल tahririndia@gmail.com पर दे दें
ताकि हम अपनी मुहिम में आपकी सहभागिता के लिए आपको धन्यवाद ज्ञापित कर
सकें l

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Posted by: urvashi sharma <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
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