Monday, December 28, 2015

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वरिष्ठ आईएएस अफसरों पर जालसाजी का आरोप

Published 28-Dec-2015 21:16 IST

एक्टविस्ट द्वारा जारी किए गए कागजात

हजरतगंज कोतवाली में इन आला अफसरों के ख‍िलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए प्रार्थनापत्र पर सुनवाई न होने के बाद एसएसपी के यहां गुहार लगाई गई है।

यह आईएएस अधिकारी और वर्तमान में प्रमुख सचिव समाज कल्याण सुनील कुमार और प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन सदाकांत के अलावा अन्य अफसरों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इन अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग करने और अभिलेखों को गुपचुप ढंग से कूटरचित दस्तावेज बनाकर जालसाजी करने का आरोप लगाया गया है।

इनके अलावा प्रदेश सरकार के कई विशेष सचिवों और उप सचिवों को भी सह-अभियुक्त बनाया गया है। एक्टविस्ट उर्वशी शर्मा के अनुसार उन्होंने पहले सीआरपीसी की धारा 154(1) के तहत थाना हजरतगंज में अर्जी दी थी पर कोई कार्रवाई न होने पर अब उन्होंने मजबूर होकर एसएसपी को यह दरखास्त दी है।

आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने बताया कि उनके द्वारा दायर विभिन्न आरटीआई आवेदनों पर आए जवाबों से उनके हाथ उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सुनील कुमार व प्रमुख सचिव आवास सदाकांत, विशेष सचिव केदार नाथ, उप सचिव राज कुमार त्रिवेदी एवं उत्तर प्रदेश सचिवालय के अन्य कार्मिकों की ओर से पद का दुरुपयोग कर सरकार से छल करके तथ्यों को छुपाया है। साथ ही कूटरचना कर झूठे दस्तावेज के जरिए सरकार को आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप लगाया है।

उर्वशी ने बताया कि उनकी ओर से इस मुद्दे को उठाने के बाद सुनील कुमार ने अपना अपराध छुपाने के लिए गुपचुप रूप से समाज कल्याण अनुभाग–1 का कार्यालय ज्ञाप संख्या 3219/26-1-2015-स0क0-1 लखनऊ दिनांक 24 अक्टूबर 2015 जारी करके अपनी गलती को छुपाने का कार्य भी किया है।

उर्वशी के मुताबिक एसएसपी को भेजे पत्र में उन्होंने सुनील कुमार की ओर से जारी किये गए कार्यालय ज्ञाप संख्या 3219/26-1-2015-स0क0-1 लखनऊ दिनांक 24 अक्टूबर 2015  को इन सभी किये गए अपराध की स्वीकारोक्ति बताते हुए इसे सबूत के तौर पर भेजा है।

उर्वशी ने बताया कि यदि एसएसपी द्वारा अगले 15 दिनों में इन रसूखदार और उच्च पदों पर बैठे भ्रष्टों के खिलाफ कोई कार्रवाई  नहीं की जाती है तो वे इस मामले में अदालत का दरवाजा खटखटायेंगी।


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Posted by: urvashi sharma <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
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Sunday, December 27, 2015

[rti4empowerment] उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सुनील कुमार (आई० ए० एस०), प्रमुख सचिव आवास सदाकांत, विशेष सचिव केदार नाथ, उप सचिव राज कुमार त्रिवेदी एवं उत्तर प्रदेश सचिवालय के अन्य कार्मिकों द्वारा पद का दुरुपयोग कर सरकार से छल करने के प्रयोजन से तथ्यों को छुपाकर और कूटरचना कर मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी करके सरकार को आर्थिक क्षति कारित करने के सिद्ध अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट सुसंगत धाराओं में दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही कराने के लिए सीआरपीसी की धारा 154(3) के अंतर्गत प्रार्थना पत्र का प्रेषण

 




सेवा में,                                                       स्पीड पोस्ट के माध्यम से प्रेषित                                                                                                                                                                                       
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक
जनपद लखनऊ , उत्तर प्रदेश – 226001
 
विषय : उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सुनील कुमार (आई० ए० एस०), प्रमुख सचिव आवास सदाकांत, विशेष सचिव केदार नाथ, उप सचिव राज कुमार त्रिवेदी एवं उत्तर प्रदेश सचिवालय के अन्य कार्मिकों द्वारा पद का दुरुपयोग कर सरकार से छल करने के प्रयोजन से तथ्यों को छुपाकर और कूटरचना कर मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी करके  सरकार को आर्थिक क्षति कारित करने के सिद्ध अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट सुसंगत धाराओं में दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही कराने के लिए सीआरपीसी की धारा 154(3) के अंतर्गत प्रार्थना पत्र का प्रेषण 
महोदय,
अवगत कराना है कि मैंने विपक्षीगण उपरोक्त द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त होकर व्यक्तिगत अभिलाभ प्राप्त करने के लिए अपने पदीय अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए यूपी सरकार के साथ छल करने और माननीय उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय समेत अनेकों कानूनी व प्रशासनिक तथ्यों को छुपाकर कूटरचना द्वारा मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी करने का अपराध करके सरकार को आर्थिक क्षति कारित करने की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए एक प्रार्थना पत्र दिनांक 23-08-15 को थाना हजरतगंज के प्रभारी को भेजा था जिसके साथ कूटरचित दस्तावेज उत्तर प्रदेश समाज कल्याण अनुभाग-1 के कार्यालय ज्ञाप संख्या 3783/26-1-2014-119(70)/02  लखनऊ दिनांक 04 दिसम्बर 2014 की छायाप्रति संलग्नक 1 संलग्न की थी  l
 
इस कूटरचित दस्तावेज के माध्यम से विभाग की संस्था राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलिटेक्निक मोहान रोड लखनऊ के कार्मिक पवन कुमार मिश्रा का उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ की याचिका संख्या 110/एसबी/2004 के आदेश दिनांक 24-02-06 जिसकी  2 पेज की छायाप्रति संलग्नक 2, सर्वोच्च न्यायालय की याचिका संख्या SLP(C ) No. 7096/2008 के आदेश दिनांक 01-02-2008 जिसकी छायाप्रति संलग्नक 3, उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ की याचिका संख्या 1735/एसबी/2010 के आदेश दिनांक 24-11-10  जिसकी छायाप्रति संलग्नक 4,विभाग की सेवा नियमावली जिसके 2 पेज की छायाप्रति संलग्नक 5 और विनियमितीकरण नियमावली जिसके 2 पेज की छायाप्रति संलग्नक 6 के रूप में मैंने संलग्न की थी , के उपबन्धों के प्रतिकूल जाकर द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित पद पर विनियमितीकरण करके विपक्षीगणों द्वारा राज्य सरकार को आर्थिक क्षति कारित की गयी थी  l यह अपराध न्यायालयों के उपरोक्त तीनों आदेशों द्वारा दिए गए इस कानूनी आदेश के बाद किया गया था कि तदर्थ रूप से नियुक्त न होने के कारण पवन कुमार मिश्रा का विनियमितीकरण किया ही नहीं जा सकता था  l मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी करने के इस अपराध को कारित करने में इस प्रशासनिक तथ्य को भी छुपाया गया था कि पवन कुमार मिश्रा कर्मशाला अधीक्षक पद के लिए विभाग की सेवा नियमावली में विहित आवश्यक अर्हता 3 वर्ष का अनुभव धारित ही नहीं करता था  और उ० प्र० ( लोक सेवा आयोग के क्षेत्रान्तर्गत पदों पर ) तदर्थ नियुक्तियों का विनियमितीकरण नियमावली 1979 एवं संशोधित नियमावली 2001 के नियम 4(1)(दो) के अनुसार 3 वर्ष का अनुभव धारित न करने के कारण पवन कुमार मिश्रा को इस पद पर विनियमित किया ही नहीं जा सकता था  l इस प्रकार विपक्षीगणों ने न्यायालय के आदेश को अपने आदेश को पलटने का अपराध भी कारित किया था  l पवन कुमार मिश्रा लखनऊ की अवध इंडस्ट्रीज का मात्र 2 वर्ष 7 माह 22 दिन का अनुभव ही धारित करता था जो 3 वर्ष से कम था  l
 
यही नहीं विपक्षीगण उपरोक्त द्वारा इस जघन्य अपराध को कारित करने में उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ की याचिका संख्या 400/एसबी/2013 के आदेश दिनांक 02-04-13 के अनुपालन में उत्तर प्रदेश समाज कल्याण अनुभाग-1 द्वारा जारी कार्यालय ज्ञाप संख्या 1280/26-1-2013-119(72)/2006 लखनऊ दिनांक 02 जुलाई 2013 जिसकी  3 पेज की छायाप्रति संलग्नक 7 संलग्न थी, के तथ्यों को भी छुपाया गया था  इस आदेश द्वारा समाज कल्याण के तत्कालीन प्रमुख सचिव संजीव दुबे ने आदेश जारी कर कहा था कि पवन कुमार मिश्रा के विनियमितीकरण पर विचार किया जाना संभव नहीं था और पवन द्वारा विनियमितीकरण के सम्बन्ध में दिया गया प्रत्यावेदन निरस्त कर दिया था l
 
मैंने हजरतगंज थाने के प्रभारी से अनुरोध किया था कि उच्चतम न्यायालय द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार { W.P.(Crl) No;68/2008 } के सम्बन्ध में पारित आदेश के अनुपालन में CrPC की धारा 154 में विहित व्यवस्थानुसार वे उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सुनील कुमार (आई० ए० एस०), उप सचिव राज कुमार त्रिवेदी एवं उत्तर प्रदेश सचिवालय के अन्य कार्मिकों द्वारा पद का दुरुपयोग कर सरकार से छल करने के प्रयोजन से तथ्यों को छुपाकर और कूटरचना कर मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी करके  सरकार को आर्थिक क्षति कारित करने के इस संज्ञेय अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट सुसंगत धाराओं में दर्ज कर विपक्षियों के विरुद्ध विधिक कार्यवाही करें l थाना हजरतगंज के प्रभारी को स्पीड पोस्ट संख्या EU353575058IN दिनांक 24-08-15 के माध्यम से प्रेषित प्रार्थना पत्र के 15 पेज की छायाप्रति संलग्न है l

गौरतलब है कि मेरे द्वारा शिकायत करने के बाद प्रमुख सचिव सुनील कुमार ने अपना अपराध स्वीकार भी कर लिया है जिसके प्रमाण स्वरुप मैं उत्तर प्रदेश समाज कल्याण अनुभाग – 1 के कार्यालय ज्ञाप संख्या 3219/26-1-2015-स0क0-1 लखनऊ दिनांक 24 अक्टूबर 2015 की 2 पेज की छायाप्रति भी संलग्न कर रही हूँ l

क्योंकि हजरतगंज थाने के प्रभारी ने उच्चतम न्यायालय द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार { W.P.(Crl) No;68/2008 } के सम्बन्ध में पारित आदेश के अनुपालन में CrPC की धारा 154 में विहित व्यवस्थानुसार संज्ञेय अपराध के इस मामले में कार्यवाही नहीं की है अतः आपसे अनुरोध है कि उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सुनील कुमार (आई० ए० एस०), प्रमुख सचिव आवास सदाकांत, विशेष सचिव केदार नाथ, उप सचिव राज कुमार त्रिवेदी एवं उत्तर प्रदेश सचिवालय के अन्य कार्मिकों द्वारा पद का दुरुपयोग कर सरकार से छल करने के प्रयोजन से तथ्यों को छुपाकर और कूटरचना कर मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी करके  सरकार को आर्थिक क्षति कारित करने के सिद्ध अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट सुसंगत धाराओं में दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही कराएं और इसकी सूचना मुझे भी दें lसाथ ही साथ कानून का अनुपालन न करने के लिए हजरतगंज के थानाध्यक्ष को भी दण्डित करें l
 
संलग्नक : उपरोक्तानुसार संलग्नकों के 17 पेजों की छायाप्रतियां l
दिनांक : 27-12-15
 
प्रतिलिपि : महामहिम श्री राज्यपाल,उत्तर प्रदेश को आवश्यक कार्यवाही हेतु संलग्नकों सहित प्रेषित l

भवदीया

उर्वशी शर्मा )
102,नारायण टावर, ऍफ़ ब्लाक ईदगाह के सामने
राजाजीपुरम, लखनऊ,उत्तर प्रदेश,भारत, पिन कोड - 226017    
मोबाइल :9369613513 ई-मेल rtimahilamanchup@gmail.com

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[rti4empowerment] यूपी आईएएस सुनील कुमार, सदाकांत समेत कई पर जालसाजी का आरोप : एफआईआर कराने को समाजसेविका उर्वशी शर्मा ने भेजी लखनऊ एसएसपी को अर्जी

 


 
 
लखनऊ/28 दिसम्बर 2015/ लखनऊ की एक चर्चित समाजसेविका ने यूपी कैडर के आई.ए.एस. अधिकारी और वर्तमान में प्रमुख सचिव समाज कल्याण का काम देख रहे सुनील कुमार और यूपी कैडर के आई.ए.एस. अधिकारी और प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन का काम देख रहे सदाकांत समेत कई अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग करने और अभिलेखों को छुपकर कूटरचित मिथ्या दस्तावेज बनाकर जालसाजी करने का आरोप लगाते हुए लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को सीआरपीसी की धारा 154(3) के तहत अर्जी देकर भारतीय दंड विधान की सुसंगत धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही कराने की मांग की है. इस अर्जी में उत्तर प्रदेश सरकार के कई विशेष सचिवों और उप सचिवों को भी सह-अभियुक्त बनाया गया है. बकौल समाजसेविका उन्होनें पहले सीआरपीसी की धारा 154(1) के तहत थाना हजरतगंज में अर्जी दी थी पर कोई कार्यवाही न होने पर अब उन्होंने मजबूर होकर एसएसपी को यह दरखास्त दी है.
 
 
 
लखनऊ की समाजसेविका और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने बताया कि उनके द्वारा दायर बिभिन्न आरटीआई आवेदनों पर आये जबाबों से उनके हाथ उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सुनील कुमार (आई० ए० एस०), प्रमुख सचिव आवास सदाकांत, विशेष सचिव केदार नाथ,उप सचिव राज कुमार त्रिवेदी एवं उत्तर प्रदेश सचिवालय के अन्य कार्मिकों के द्वारा पद का दुरुपयोग कर सरकार से छल करने के प्रयोजन से तथ्यों को छुपाने और कूटरचना कर मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी करके  सरकार को आर्थिक क्षति कारित करने के अपराध के पुख्ता सबूत आने पर उन्होंने बीते 23 अगस्त को थाना हजरतगंज के प्रभारी को प्रमाणों के साथ एफ.आई.आर. की तहरीर दी थी.उर्वशी ने बताया कि इस जालसाजी को करने में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश,उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के आदेश,नियमावलियों और शासनादेशों तक को ताक पर रख दिया गया है.
 
 
उर्वशी के अनुसार जब हजरतगंज थाने के प्रभारी ने इन रसूखदार अभियुक्तों के खिलाफ विधिक कार्यवाही की सूचना आरटीआई में मांगे जाने पर भी उन्हें नहीं दी तो अब उन्होंने एसएसपी को तहरीर देकर एफआईआर की मांग की है.उर्वशी ने बताया कि एसएसपी को लिखी चिट्ठी में उन्होंने हजरतगंज थाने के प्रभारी द्वारा उच्चतम न्यायालय द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार { W.P.(Crl) No;68/2008 } के सम्बन्ध में पारित आदेश और  CrPC की धारा 154 का अनुपालन न करने के लिए थानाध्यक्ष को भी दण्डित करने की मांग की है.
 
 
उर्वशी ने बताया कि उनके द्वारा इस मुद्दे को उठाने के बाद सुनील कुमार ने अपना अपराध छुपाने के लिए गुपचुप रूप से समाज कल्याण अनुभाग – 1 का कार्यालय ज्ञाप संख्या 3219/26-1-2015-स0क0-1 लखनऊ दिनांक 24 अक्टूबर 2015 जारी करके अपनी गलती को छुपाने का कार्य भी किया है. बकौल उर्वशी, एसएसपी को भेजे पत्र में उन्होंने सुनील कुमार द्वारा जारी किये गए कार्यालय ज्ञाप संख्या 3219/26-1-2015-स0क0-1 लखनऊ दिनांक 24 अक्टूबर 2015  को इन सभी के द्वारा किये गए अपराध की स्वीकारोक्ति बताते हुए इसे  सबूत के तौर पर भेजा है.
 
 
उर्वशी ने बताया कि यदि एसएसपी द्वारा अगले 15 दिनों में इन रसूखदार और उच्च पदों पर बैठे भ्रष्टों के खिलाफ  कोई कार्यवाही नहीं की जाती है तो वे इस मामले में अदालत का दरवाजा खटखटायेंगी.
 

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