Thursday, July 31, 2014

[rti4empowerment] News Agency IANS News from IBN7 Website : आरटीआई कार्यकर्ताओं का अनोखा प्रदर्शन

 

http://ibn7.in/state/uttar-pradesh/lucknow/item/45266-news

आरटीआई कार्यकर्ताओं का अनोखा प्रदर्शन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आरटीआई कार्यकर्ताओं पर लगातार हो रहे हमले और उत्पीड़न के खिलाफ 'नेशनल व्हिसल्ब्लोवर्स डे' पर बुधवार को जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष आरटीआई और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने नुक्कड़ नाटक 'मदारी और बंदर' के माध्यम से एवं 'सीटी बजाकर' प्रदर्शन किया। येश्वर्याज सेवा संस्थान के बैनर तले अपनी तरह का बेहद और अलग प्रदर्शन कर आयोजक और आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा ने कहा, "उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों द्वारा राजनेताओं के इशारों पर कार्य करके निर्दोष जनता को निरंतर ही प्रताड़ित किया जा रहा है और आम-जन को प्रशासन और पुलिस से न्याय नहीं मिल रहा है। इन निंदनीय कृत्यों में प्रशासन और पुलिस का पूरा तंत्र ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहभागी है।"

प्रशासनिक और पुलिस तंत्र राजनेताओं को अपना मदारी मान चुका है और उनके इशारों पर बंधक बन्दर की तरह नाच रहा है।

उर्वशी ने कहा कि प्रदेश में आए दिन हो रहे दंगों तथा बदायूं, मोहनलालगंज जैसे दुष्कर्म और हत्याकांड के मामलों की पुनरावृत्ति यह सिद्ध करती है कि अपराधों के प्रति सरकार पूर्णतया: बहरी हो गई है।

उन्होंने कहा कि हम राज्य में बढ़ते अपराधों के प्रति सरकार के कानों तक जनता की आवाज पंहुचाने के लिए सीटी बजाकर आक्रोश व्यक्त करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं।

प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश की ध्वस्त कानून व्यवस्था और मानवाधिकारों के खुले उल्लंघनों के लिए प्रदेश सरकार को जमकर कोसा। उन्होंने प्रदेश में सचेतकों और आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्याओं की घटनाओं को लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए सरकार से आरटीआई कार्यकर्ताओं और सचेतकों को झूठे मामलों में फंसाए जाने की घटनाओं की सीबीसीआईडी से जांच कराने की मांग की।

प्रदर्शनकारियों ने प्रशासनिक और पुलिस तंत्र को पारदर्शी और जवाबदेह बनाकर प्रदेश में मानवाधिकारों के संरक्षण की मांग की और प्रशासनिक सुधार और पुलिस सुधार के लिए तेरह सूत्री मांगपत्र सूबे के मुखिया अखिलेश यादव को प्रेषित किया गया।

प्रदर्शनकारियों ने विगत दिनों मारे गए सचेतकों, आरटीआई कार्यकर्ताओं और निर्दोष आमजनों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • Agency: IANS


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Posted by: urvashi sharma <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
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Wednesday, July 30, 2014

[rti4empowerment] प्रशासनिक और पुलिस तंत्र को पारदर्शी और जबाबदेह बनाकर प्रदेश में मानवाधिकारों के संरक्षण की मांग के लिए धरना प्रदर्शन : तेरह सूत्री मांगपत्र सूबे के मुखिया अखिलेश यादव को प्रेषित [4 Attachments]

 
[Attachment(s) from urvashi sharma included below]

लखनऊ l 30 July 2014
 
आज 'राष्ट्रीय सचेतक दिवस' 30 जुलाई 2014 पर लखनऊ में हज़रतगंज जीपीओ के निकट स्थित महात्मा गांधी पार्क में  सामाजिक कार्यकर्ताओं ने येश्वर्याज सेवा संस्थान के बैनर तले 'मदारी और बन्दर' के माध्यम से  एवं 'सीटी बजाकर' सामूहिक प्रदर्शन किया l
 
येश्वर्याज सेवा संस्थान लोकजीवन में पारदर्शिता, जबाबदेही लाने और मानवाधिकारों के संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत लखनऊ स्थित एक सामाजिक संगठन है l
 
येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने बताया "उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों द्वारा  राजनेताओं के इशारों पर  कार्य करके निर्दोष जनता को निरंतर ही प्रताणित किया जा रहा है और आम-जन को प्रशासन और पुलिस से न्याय नहीं मिल रहा है l  इन निंदनीय कृत्यों में प्रशासन और पुलिस का पूरा तंत्र ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहभागी है l आज का प्रशासनिक और पुलिस तंत्र भ्रष्टाचारियों और सत्तानशीनों के अतिरिक्त समाज के किसी भी वर्ग के हित संरक्षित रखने में बिलकुल भी तत्पर नहीं है l  संक्षेप में कहें तो आज का प्रशासनिक और पुलिस तंत्र राजनेताओं को अपना मदारी मान चुका है और उनके इशारों पर बंधक बन्दर की तरह नाच रहा है l प्रशासनिक और पुलिस तंत्र को आइना दिखाने और इनकी सोयी पडी अंतरात्मा को झकझोरने के उद्देश्य से ही हम आज 'राष्ट्रीय सचेतक दिवस' 30 जुलाई 2014 पर राजधानी लखनऊ में 'मदारी और बन्दर' के माध्यम से यह शांतिपूर्ण प्रतीकात्मक प्रदर्शन  कर रहे  है l "
 
उर्वशी ने कहा कि  प्रदेश में आये दिन होने बाले दंगों तथा बदायूं ,मोहनलालगंज जैसे  रेप और हत्याकांड के   मामलों ने हमारी इस अवधारणा को सिद्ध भी कर दिया है l यह अब किसी से छुपा नहीं है कि कैसे बन्दर बने प्रदेश  के आला पुलिस अधिकारी इन मामलों के निस्तारण में अपने मदारी  नेताओं के इशारों पर कानून को खूंटी पर टांगकर  तरह-तरह की  कलाबाजियां  खा रहे हैं और अपनी वेशर्मी को ही अपनी सफलता मानकर बन्दर की तरह जब-तब खींसें नपोरते दिखाई दे रहे हैं l
 
उर्वशी ने बताया "प्रदेश में आये दिन होने दंगों तथा बदायूं ,मोहनलालगंज जैसे  रेप और हत्याकांड के   मामलों की पुनरावृत्ति यह सिद्ध करती है कि  अपराधों के प्रति अखिलेश की सरकार पूर्णतया बहरी  हो गयी है अतः हम यूपी में बढ़ते अपराधों के प्रति अखिलेश की बहरी  सरकार के कानों तक जनता की आवाज पंहुचाने के लिए  आज सीटी बजाकर आक्रोश व्यक्त करते हुए प्रदर्शन भी कर रहे हैं l"
 
धरने के आरम्भ में  प्रदर्शनकारियों ने विगत दिनों मारे गए सचेतकों, आरटीआई एक्टिविस्टों और निर्दोष आमजनों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की l प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश की ध्वस्त क़ानून व्यवस्था और मानवाधिकारों के खुले उल्लंघनों के लिए प्रदेश सरकार को जमकर कोसा l धरने में पुलिस द्वारा सरकार के  दबाब में आमजनता को झूठे मामलों में फंसाकर प्रताड़ित करने का मामला प्रमुखता से उठा l
 
धरने में महेंद्र अग्रवाल, हरपाल  सिंह,राम स्वरुप यादव, अशोक कुमार गोयल, नूतन ठाकुर,आलोक कुमार, नीरज कुमार,के के मिश्रा, आर डी कश्यप, सूरज कुमार आदि ने प्रतिभाग कर प्रदेश में  सचेतकों और आरटीआई एक्टिविस्टों की हत्याओं की घटनाओं को लोकतंत्र की हत्या की संघ्या दी और सरकार से आरटीआई एक्टिविस्टों और सचेतकों को झूठे मामलों में फंसाये जाने की घटनाओं की सीबीसीआईडी से जांच कराने की मांग की l    
 
प्रदर्शनकारियों द्वारा  प्रशासनिक और पुलिस तंत्र को पारदर्शी और जबाबदेह बनाकर प्रदेश में मानवाधिकारों के संरक्षण की मांग की गयी और प्रशासनिक सुधार और पुलिस सुधार के लिए तेरह सूत्री मांगपत्र सूबे के मुखिया अखिलेश यादव को प्रेषित किया गया l कार्यक्रम 11 बजे पूर्वान्ह से 3 बजे अपरान्ह तक चला l
 
( उर्वशी शर्मा )
Secretary – YAISHWARYAJ Seva Sansthan Lucknow
Mobile- 9369613513, 8081898081,9455553838
 
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Copy of Demand Letter : मांगपत्र की प्रति
सेवा में,
श्री अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री
लखनऊ,उत्तर प्रदेश,भारत
 
विषय : उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक और पुलिस तंत्र को पारदर्शी और जबाबदेह बनाकर प्रदेश में मानवाधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने हेतु तेरह सूत्री मांगपत्र का प्रेषण
आदरणीय महोदय,
                आपको अवगत कराना है कि वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश की जनता ने नव-अपेक्षाओं के साथ आपकी पार्टी को सत्ता की कुंजी सौंपी थी l आपकी पार्टी से जनता की यह अपेक्षा थी कि नयी सरकार प्रत्येक क्षेत्र में पूर्ववर्ती सरकार की अपेक्षा वेहतर परिणाम देने की मंशा के साथ कार्य करेगीl 
 
हमें आपको अत्यंत दुःख  के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि लोकजीवन में पारदर्शिता, जबाबदेही लाने और मानवाधिकारों के संरक्षण के क्षेत्र में  आपकी सरकार ने कोई भी ठोस कार्य नहीं किया है और इसकी परिणति प्रदेश में आये दिन होने बाले दंगों और प्रदेश में बढ़ते अपराधों के रूप में हो रही है जिसका खामियाजा केवल और केवल आम जनता ही भुगत रही है l
 
हम आपसे जानना चाहते है कि प्रदेश में आये दिन होने बाले दंगों और प्रदेश में बढ़ते अपराधों के लिए सूबे में तमाम पदों पर आसीन लोकसेवको की भी कोई जबाबदेही है या नहीं l हम यह भी जानना चाहते हैं कि क्या ये लोकसेवक बिना किसी जबाबदेही के यूं ही समय काटने का कार्य करते रहेंगे और प्रदेश को इन समस्याओं से कभी भी निजात नहीं मिलेगी l
 
उत्तर प्रदेश आबादी के लिहाज से विश्व का छठा देश हो सकता है परन्तु यह विचारणीय है कि देश  में ही शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत ढांचे के विकास और पावर सहित कई दूसरे सेक्टरों में राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे बीमारू राज्यों ने भी वेहतर प्रशासनिक व्यवस्थाओं के बल पर उत्तर प्रदेश  को पछाड़ रखा है ।हम सभी का आपसे अनुरोध है कि हमारी निम्नलिखित मांगों पर तत्काल प्रभाव से कार्यवाही कराकर कृत  कार्यवाही से हमको अवगत भी कराएं l यदि आपके द्वारा हमारी मांगों में उठाये बिन्दुओं के सम्बन्ध में  6 माह के अंदर प्रभावी कार्यवाही कर प्रदेश की जनता को प्रशासन और पुलिस से सम्बंधित उसकी समस्याओं का स्थायी समाधान मुहैया नहीं कराया जाता है तो हम उग्र आंदोलन करने और मा० न्यायालय की शरण में जाने को वाध्य होंगे जिसका पूर्ण उत्तरदायित्व आपका और आपकी सरकार का होगा l 
मांगें :
1-       प्रदेश के  प्रशासनिक अधिकारियों को अवांछित राजनैतिक दवाव से मुक्त करने हेतु प्रदेश में स्वतंत्र सिविल सेवा बोर्ड को कार्यशील बनाया जाए l
2-       प्रशासनिक अधिकारी का एक पद पर दो वर्ष की अवधि से पूर्व स्थानांतरण केवल दंडस्वरूप ही किया जाये एवं ऐसे दण्ड का अंकन सम्बंधित अधिकारी के सेवा अभिलेखों में किया जाये l
3-       प्रशासनिक अधिकारियों के स्थानांतरण में अन्तर्निहित लोकहित को  स्थानांतरण से पूर्व ही सार्वजनिक किया जाये l
4-       जिले में दंगे होने की घटना को जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की व्यक्तिगत अक्षमता माना जाये और दंगे होने की घटना का अंकन संबंधित जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के सेवा अभिलेखों में किया जाए l
5-       प्रदेश की पुलिस को अवांछित राजनैतिक दवाव से मुक्त करने हेतु राज्य सुरक्षा आयोग का गठन किया जाए l
6-       प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति,पदोन्नति,स्थानांतरण,अनुशासनात्मक कार्यवाही,सेवा देयकों के भुगतान आदि को विनियमित करने की पारदर्शी प्रक्रिया अमल में लाई जाएl इसके लिए पुलिस स्थापना बोर्ड का गठन किया जाए l   
7-       जांचों  के लिए  और कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए थानों में पृथक-पृथक पुलिस बल फेज-वार तैनात किये जाएँ l
8-       पुलिस के खिलाफ की गयी शिकायतों के सही निस्तारण हेतु जिला स्तर पर एवं राज्य स्तर पर पुलिस शिकायत प्राधिकरण का गठन किया जाये l
9-       दंड विधि ( संशोधन ) अधिनियम 2013 लागू होने की तिथि 03 फरवरी 2013 के बाद प्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध हुए अपराधों के सभी प्राप्त मामलों की थानावार समीक्षा कराकर धारा 166A/166B  के तहत  दोषी पाये जाने बाले पुलिस कर्मियों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही की  जाए l
10-      वादियों द्वारा थानों पर दिए गए  शिकायती पत्रों की समीक्षा कराकर  मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रिट पिटीशन (  क्रिमिनल ) संख्या  68/2008 ललिता  कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार एवम अन्य मेँ दिनांक 12-11-2013 को प्रतिपादित क़ानून के अनुपालन में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न करने के दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कार्यवाही कराई जाये l
11-      प्रशासन और पुलिस को अतिश्रम की समस्या से निजात दिलाने के लिए रिक्त पड़े पदों को तत्काल भरा जाए l
12-      प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों द्वारा  अपने  उच्चाधिकारियों से अथवा राजनेताओं से प्राप्त मौखिक निर्देशों को बिना लिपिबद्ध किये ऐसे मौखिक निर्देशों के आधार पर की गयी  कार्यवाही को अवैध मानकर सम्बंधित प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों को ऐसे मामलों में दण्डित किये  जाने का नियम बनाया जाये l
13-      पुलिस एवं प्रशासन से जुड़े प्रत्येक कार्मिक को मानवाधिकारों के संरक्षण से सम्बंधित समुचित प्रशिक्षण दिलाया जाये एवं मानवाधिकार उल्लंघन के प्रत्येक सिद्ध प्रकरण का अंकन दोषी कार्मिक के सेवा अभिलेखों में किया जाएl 
 
 

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