Saturday, August 13, 2011

[rti4empowerment] Newcutting of Jagran- शोषण के विरुद्ध छेड़ रखी है लड़ाई [1 Attachment]

 
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PARAMJIT SINGH
JALANDHAR
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जालंधर पेशे से वह कस्टम आफिसर है, मगर दूसरों के कष्ट को दूर करने के लिए लड़ता है परमजीत सिंह। शोषण और स्वतंत्रता के अधिकार के लिए लड़ने वाले परमजीत सिंह ने कलम की ताकत से शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई है। दूसरों की परेशानी को अपने सिर लेकर कानूनी अधिकार से लड़ते हैं परमजीत सिंह। शोषण के विरुद्ध लड़ाई में इन्होंने शिकायत और सूचना के अधिकार को अपना हथियार बनाया और कई लोगों के लिए मसीहा बने। राज नगर निवासी परमजीत सिंह कस्टम आफिसर हैं, मगर उनमें जज्बा है शोषण के खिलाफ लड़ने का। उन्हें कहीं भी किसी का शोषण नजर आता है तो वह खुद ही सिस्टम पर चोट करने से गुरेज नहीं करते। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें परमजीत सिंह के प्रयास रंग लाए हैं। बस्ती बावा खेल निवासी धर्मपाल और उनकी पत्नी को वृद्ध पेंशन देने के लिए सामाजिक सुरक्षा विभाग ने मना कर दिया था। परमजीत सिंह को इस बात का पता चला तो उन्होंने मानव संसाधन मंत्रालय में खुद लिखित शिकायतें कीं। इसके बाद ग्रामीण विकास मंत्रालय को भी शिकायतें लिखनी शुरू कीं। शिकायतों के बाद दबाव बना तो बुजुर्ग दंपति को पेंशन लग गई। इसी तरह अमृतसर रेलवे स्टेशन के बाहर शौचालय को ताला लगा हुआ था। ऐसे में परमजीत सिंह ने रेलवे को शिकायतें कीं। आरटीआई के तहत जानकारी मांगी और बंद करने का कारण पूछा तो रेलवे को ताला खोलना पड़ा। बिहार के पटना में एक मासूम बच्चे को सरेराह पीटा गया था। इसकी वीडियो टीवी चैनल पर देखने के बाद परमजीत सिंह ने डीजीपी बिहार को शिकायत कर दी। ऐसे में पुलिस पर दबाव बना और बच्चे को पीटने वालों पर केस दर्ज हुआ, जबकि परमजीत का उक्त बच्चे से रिश्ता नहीं था। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें परमजीत सिंह दूसरों के लिए लड़े हैं। परमजीत सिंह का कहना है कि शोषण के विरुद्ध वह लड़ते रहेंगे।
 

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