जीतेन मरांडी को फांसी की सजा सुना दी गयी है। यह भारतीय लोक तंत्र, में लोक तंत्र की हत्या है। जांच दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए था.लेकिन ऐसा नहीं किया गया। आज पूरे झारखंड में जंगल, जमीन, पानी, भोजन, यहां तक कि हवा पर भी पूंजीपतियों का जब्रदस्त कब...्जा का प्रयास चल रहा है। जो जल, जंगल, जमीन, बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं-सरकार उन्हें उग्रवादी घोषित कर रही है., जेल में डाल रही , फांसी की सजा सुनाई जा रही है, आंदोलनकारियों को पुलिस गोलियों से भून रही है, अपने ही गांव घर खेत टांड की रक्षा में जुटे हैं-उन्हें बेमौत मारा जा रहा है। यह सिर्फ झारखंड का सवाल नहीं है-पूरे देश में कारपोरेट पूजि और सरकार का दमनचक्र चह रहा है। डा विनायक सेन को जेल में डालना इसी शाजिस का हिस्सा था। कोयलकारो जन संगठन पर पुलिस दमन चला-आठ किसाना मारे गये-हत्यारों को कोई सजा नहीं सुनाई गयी। हाक के दिनों में पावर प्लांट के खिलाफ लड़ रहे ग्रामीणों पर गोली चलायी गयी-कुल तीन लोग मारे गये-हत्यारों को कोई सजा नहीं सुनाई गयी। दर्जनों आंदोलनों पर गोलियां चली-किसी तरह की सजा नहीं दी गयी। उल्टे जो अपना धरोहर बचा रहे हैं-उन्हें ही सजा भुगतना पड़ रहा है। आज जो हमारा अन्न छीन रहा है, हमारा अधिकार छिन्न रहा है-उनके खिलाफ किसी तरह का कार्रवाई नहीं-आखिर क्यों ?यह कौन सा न्याय है-यह हम सभी के लिए सबसे बड़ा सवाल हैSee More
By: Dayamani Barla
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