Sunday, November 24, 2013

[rti4empowerment] अब सर्वे बतायेगा आरटीआई की राह का सबसे बड़ा रोड़ा

 

 उर्वशी शर्मा उर्वशी शर्मा

अब सर्वे बतायेगा आरटीआई की राह का सबसे बड़ा रोड़ा

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  • Sunday, 24 November 2013 15:19
लखनऊ: आरटीआई कानून को लागू हुए आठ वर्ष  पूरे हो चुके हैं| आरटीआई का उद्देश्य भारत के नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति शिक्षित बनाकर लोक प्राधिकरणों के क्रियाकलापों को पारदर्शी बनाना एवं लोक प्राधिकारियों के उत्तरदायित्वों का निर्धारण करना था ताकि देश के संसाधनों के उपयोग की भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था की स्थापना की जा सके| आरटीआई एक्ट के नौवें साल में आज यह प्रश्न प्रासंगिक है कि क्या आरटीआई का यह कानून अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने में उतना सफल हो रहा है जितनी अपेक्षा इसे लागू करते समय इससे की गयी थी ? शायद नहीं| फिर आखिर ऐसे क्या कारण हैं कि इतने पावन एवं सार्वजनिक लोकहित के उद्देश्य से लाया गया यह कानून अपने उद्देश्य का पूर्णतः पाने में सफल नहीं हो पा रहा है| इसी बात की तह तक जाने के लिए लखनऊ के सामाजिक संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान ने एक सर्वे की घोषणा की है जिसमें आरटीआई की राह में रोड़ा बने सबसे बड़े कारक का पता लगाकर  सरकार को अवगत कराया जायेगा और उसे दूर करने का प्रयास किया जायेगा|

संस्थान के आरटीआई कैंप के दूसरे और अंतिम दिन संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने इस सर्वे की घोषणा की| आज कैंप में रायबरेली,लखनऊ समेत अनेकों जिलों के लोगों ने आकर अपनी समस्याओं का समाधान किया|  किसी को उसकी सहपाठिनी द्वारा झूंठे मामले में फंसा देने की ऍफ़आईआर(FIR)में दाखिल ऍफ़आर(FR)का आधार सिद्ध करने बाले प्रपत्र चाहिए  तो किसी को रिटायरमेंट के बाद पेंशन न मिलने के दर्द से निजात चाहिए तो वहीं  लखनऊ की निरालानगर कॉलोनी के निवासी 85 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी शिवराम वर्मा लखनऊ नगर निगम के अधिकारियों से बेहद परेशान हैं जो गाहे बगाहे वर्मा को अवैध रूप से हाउस टैक्स के बाबत परेशान किये रहते हैं और वर्मा इस परेशानी से आरटीआई के माध्यम से निजात चाहते हैं| इन सभी ने भी अन्य लोगों के साथ आरटीआई के प्रयोग के बारे में आरटीआई विशेषज्ञ इंजीनियर संजय शर्मा से आरटीआई प्रयोग करने की बारीकियां सीखीं | कैंप निः शुल्क था  और सभी आगंतुकों को  आरटीआई के सम्बन्ध में येश्वर्याज सेवा संस्थान द्वारा तैयार की गयी सरल प्रश्नोत्तरी का निः शुल्क वितरण भी किया गया|

संस्थान की सचिव उर्वशी ने बताया कि  आरटीआई एक्ट को लागू करने के कुछ निश्चित उद्देश्य थे| उर्वशी कहती हैं कि उनका यह मानना है यह कानून अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने में उतना सफल नहीं हो रहा है जितनी अपेक्षा इसे लागू करते समय इससे की गयी थी  और आगे जोड़ती हैं कि आरटीआई एक्ट के  पूर्णतः सफल न हो पाने के कारक ( Factors)जानने के लिए संस्थान एक सर्वे नियोजित कर रहा है जो 06 दिसंबर 2013 तक चलेगा| यह सर्वे राज्य सूचना आयोग में किया जायेगा| संस्थान के प्रतिनिधि आयोग में उपस्थित रहकर आयोग आने बाले वादियों की राय लेंगे|

उर्वशी ने बताया कि सर्वे में  एक व्यक्ति को चार विकल्प -जनसूचनाधिकारी , प्रथम अपीलीय अधिकारी, सूचना आयोग , और आरटीआई एक्ट में कमी में से केवल एक उस कारक की जानकारी  देनी है जिसे वह आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन की राह की सबसे बड़ी वाधा मानता है |

उर्वशी ने बताया कि संस्थान आगामी 07 दिसम्बर " आरटीआई की कारगरता एवं आगे की राह " विषय पर एक सेमिनार भी आयोजित कर रहा है जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत न्यायमूर्ति कमलेश्वर नाथ करेंगे तथा  सेवानिवृत आईएएस एवं समाजसेवी एस० एन ० शुक्ल कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होंगे| उर्वशी ने बताया कि सेमिनार में ही आरटीआई रत्न पुरस्कार वितरण एवं  सर्वे के  परिणाम की घोषणा की जायेगी|

खबर की श्रेणी लखनऊ
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