Tuesday, May 13, 2014

[rti4empowerment] Kidney racket active on Facebook- FIR sought

 



I have presented an application to police station Gomti Nagar, Lucknow for registration of FIR in an alleged Kidney racket.

My friend, Pratik jain from Noida, had sent me a message on Facebook that some person is contacting him for sale of kidney for which he would get 3.5-4 lakh rupees, for which he needed a Passport. That person gave the complete details of the bank account where money would be transacted.  

I also talked to that person on phone who told me that I would get around 3 lakhs for my kidney. For this I will have to come to Pune and from there to Iran, the entire arrangement being made at his end. He asked me about my age and passport and told me that the money will be given in advance. He also told me that since my age is slightly on upper hand (45), hence it will take around 10 days to get a receptor but if I had a young person in contact, his kidney can be sold immediately.

I have presented these facts to ps Gomtinagar where I have said that prima-facie it seems to be an offence under sections 270, 336, 403, 413, 414, 420, 467, 468, 511 IPC along with 19, The Transplantation of Human Organs Act 1994.

I have talked to the SHO and the SSP Lucknow. FIR has not been registered so far.
 

Amitabh Thakur
# 094155-34526

Copy of FIR---
 

 
सेवा में,
थानाध्यक्ष,
थाना गोमतीनगर,
लखनऊ
विषय- एक किडनी रैकेट के सम्बन्ध में एफआईआर दर्ज कर अग्रिम कार्यवाही हेतु
महोदय,
      कृपया निवेदन है कि मैं अमिताभ ठाकुर निवासी
5/426, विराम खंड, गोमती नगर, लखनऊ हूँ. मेरे एक परिचित श्री प्रतीक जैन, जो मूल रूप से आगरा के रहने वाले हैं और वर्तमान में एचसीएल टेक्नोलोजिज,  नोयडा में कार्यरत हैं, ने मुझे फेसबुक पर एक सन्देश भेजा था कि उन्हें कोई व्यक्ति किडनी बेचने के लिए संपर्क कर रहा है. मैंने श्री जैन से पूरी बात बताने को कहा तो श्री जैन ने अपने ईमेल से मेरे ईमेल amitabhthakurlko@gmail.com पर अपनी पूरी बातचीत का ब्यौरा भेजा जो उनका और किडनी खरीद-फरोख्त में लगे उस आदमी के बीच हुआ था. मैं इस बातचीत के प्रमुख अंश इस एफआईआर के साथ संलग्न कर रहा हूँ. बातचीत में जो मुख्य बात थी वह यह कि उस आदमी ने अपना नाम XXX बताया.  उस व्यक्ति ने अपना फोन नंबर XXX दिया. बातचीत के क्रम में यह तय हुआ कि श्री जैन को उनके किडनी के लिए करीब 3.5-4 लाख रुपये देगा लेकिन इसके लिए श्री जैन के पास पासपोर्ट होना चाहिए. XXX ने श्री जैन को XXX बैंक का एकाउंट नंबर XXX जो किसी XXX के नाम से हैं तथा जिस ब्रांच का आईएफएससी कोड XXX है, भी बताया जिस पर पैसे की लेन-देन होने की बात कही गयी.

श्री जैन से ये बातें जानने के बाद मैंने भी कल
12/05/2014 को अपने मोबाइल नंबर  XXX से कथित XX से कई बार बात की.

उस व्यक्ति ने मुझे संक्षेप में यह कहा कि मुझे अपना किडनी बेचने के बदले करीब तीन लाख रुपये मिलेंगे. उसने यह बताया कि मुझे इसके लिए पुणे आना पड़ेगा और पुणे से ईरान जाना पड़ेगा. उस व्यक्ति ने मुझे कहा कि मुझे यहाँ से पुणे और फिर पुणे से ईरान जाने के लिए सब व्यवस्था उसी की तरफ से होगी. उसने मुझे कहा कि पैसे पहले ही मिल जायेंगे. उसने मुझसे भी पासपोर्ट के बारे में पूछा. उसमे मेरी उम्र पूछी. उस व्यक्ति से मेरी जो बात हुई वह मेरे मोबाइल में रिकॉर्ड है. रात में हुई बात में उसने कहा कि चूँकि मेरी उम्र थोड़ी अधिक है अतः किडनी खरीदने वाला व्यक्ति मिलने में करीब दस दिन लग जायेंगे पर यदि मेरे पास कोई कम उम्र का आदमी हो तो उसका किडनी तत्काल बिक जाएगा.
इन तथ्यों से प्रथमद्रष्टया ऐसा लगता है कि यह व्यक्ति, जो अपना नाम कथित रूप से XXX बता रहा है, एक बड़े अवैध किडनी तथा अंग-प्रत्यारोपण गैंग से सम्बंधित है और फेसबुक तथा अन्य सोशल मेडी के माध्यम से लोगों से संपर्क कर यह कार्य कर रहा है, जो पूरे देश और इसके ख़ास कर गरीब और असहाय देशवासियों के लिए अत्यंत ही खतरनाक और घातक है. अतः उसका यह कृत्य प्रथमद्रष्टया आईपीसी की धारा 270 (परिद्वेषपूर्ण कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रमण संभाव्य हो), 336 (किसी का जीवन वैयक्तिक क्षेम और संकटापन्न होना), 403 (संपत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग), 413, (चुराई गयी संपत्ति का व्यापार करना), 414 (चुराई गयी संपत्ति छिपाने में सहायता करना),  420 (छल और संपत्ति परिदत्त करने के लिए बेईमानी से उत्प्रेरित करना), 467 (मूल्यवान प्रतिभूति, बिल आदि की कूटरचना), 468 (छल के प्रयोजन से कूटरचना) सहपठित धारा  511 आईपीसी (अपराधों के प्रयत्न के लिए दंड) एवं धारा 19, द ट्रांस्प्लानटेशन ऑफ़ ह्यूमन ओर्गंस एक्ट 1994 का अपराध बन रहा है, क्योंकि किडनी बेचे जाने का पैसा दिया जाना और किडनी को एक मूल्यवान संपत्ति मान कर उसके बदले धन दिए जाने का उपक्रम स्वतः ही मानव किडनी को आईपीसी की धारा 22 में परिभाषित जंगम संपत्ति बना देता है.
निवेदन है कि मैंने वे सभी तथ्य आपको बताये हैं जो वर्तमान में मेरे पास हैं. साथ ही यह भी स्पष्ट है कि यह एक अत्यंत ही संवेदनशील मामला है जिसमे एक व्यक्ति या संभवतः कोई एक पूरा गैंग लखनऊ और उत्तर प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में किडनी तथा अन्य अंगों के खरीद-फरोख्त का अत्यंत कुत्सित और हानिपरक व्यापार कर रहा दिखता है. प्रकरण की संवेदनशीलता को देखते हुए निवेदन है कि इस मामले में बिना किसी भी प्रकार का विलम्ब किये और बिना अकारण किसी तकनीकी उलझन में उलझे मामले में एफआईआर दर्ज करते हुए प्रस्तुत किये जा रहे साक्ष्यों को आगे बढाते हुए कथित अनुराग जोशी और उस पूरे गैंग का अनावरण किया जाए और इस अत्यंत घृणित कार्य में संलिप्त लोगों को बेनकाब करते हुए मानव सेवा का यह अत्यंत पुनीत कार्य अतीव तीव्रता से सम्पादित किया जाए.
उपरोक्त के दृष्टिगत पुनः निवेदन है कि तत्काल एफआईआर दर्ज कर अग्रिम कार्यवाही करने की कृपा करें.
पत्र संख्या- AT/Kidney/01
दिनांक-
13/05/2014                                      भवदीय,

                                                                                                                                                (अमिताभ ठाकुर)
                                                                                                                                                5/426, विराम खंड,
                                                      गोमती नगर, लखनऊ
 
 
 
 


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