Sunday, February 17, 2013

[rti4empowerment] FIR against Facebook for abusive words to Hazrat Mohammad, Hindu Gods [1 Attachment]

 
[Attachment(s) from Amitabh Thakur included below]

FIR against Facebook for abuse of Hazrat Mohammad, Hindu Gods- ps Gomtinagar
 
An FIR No 59/2013 against Facebook Inc. and others has been registered by me and wife Nutan in the Gomti Nagar police station Lucknow under section 153A, 153 153-B, 290, 504, IPC and section 66 A Information Technology Act  2000.

The complaint says that at a Facebook
group Mullaguru Acharya Swami Baba open abuses and dirty words are used against Hindu and Islam religion and also against Prophet Mohammad and Hindu Gods and Goddess. These dirty words and abuses are of such nature that they are wantonly giving provocation with intent to cause riot and doing acts prejudicial to maintenance of harmony (153A IPC), Imputations, assertions prejudicial to national-integration (sec 153 B IPC), public nuisance (290 IPC), Intentional insult with intent to provoke breach of the peace (sec 504 IPC and using Information Technology for these purposes (sec 66A IT Act). The complaint presented by us says that all these words are such that they have been used to intentionally and deliberately provoke the above mentioned crimes.

The complaint says that even before these similar activities had been done on Facebook and three FIRs were registered against Facebook by us at Gomtinagar and Civil Lines, Meerut police station (One by me and two by Nutan) but since no action was taken in these cases, hence such incidents are recurring and culprits are getting bolstered.

The FIR says that Facebook Inc, Headquartered at Pao Alto, California, USA is criminally liable because it has not taken the due precaution as warranted under section 79 of the IT Act and various Rules of the IT (Intermediary Guidelines) Rules 2011 despite orders of Allahabad High Court in two writ petitions filed by us.

Would wait for your reactions.

Amitabh Thakur
Lucknow
# 94155-34526

I present the Copy of the FIR for ur perusal---



 
सेवा में,
थाना प्रभारी,
थाना गोमतीनगर,
जनपद लखनऊ 
विषय- फेसबुक नामक सोशल नेटवोर्किंग साईट पर एक ग्रुप के आपराधिक कृत्य के सम्बन्ध में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने हेतु
महोदय,
     
कृपया अनुरोध है कि हम अमिताभ ठाकुर और डॉ नूतन ठाकुर (स्थायी पता- निवासी 5/426, विराम खंड, गोमती नगर, लखनऊ) पेशे से क्रमशः आईपीएस अधिकारी तथा सामाजिक कार्यकर्ता हैं. हम  आपके समक्ष फेसबुक नामक सोशल नेटवोर्किंग साईट पर "मुल्लागुरु आचार्य स्वामी बाबा प्रचंडनाथ जी के इस्लामिक कटु वचन" नाम से चल रहे एक ग्रुप के आपराधिक कृत्य के सम्बन्ध में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने हेतु उपस्थित हुए हैं. निवेदन है कि फेसबुक नामक यह सोशल नेटवोर्किंग साईट है जो फेसबुक, इंक० नामक एक अमेरिकन कंपनी द्वारा संचालित है. इस कंपनी का मुख्यालय पालो अल्टो, कैलिफोर्निया, यूएसए है. यह सोशल नेटवोर्किंग साईट इन्टरनेट के माध्यम से हमारे देश में भी सारे कंप्यूटरों पर प्रदर्शित होता है. हम दोनों भी फेसबुक पर सक्रीय सदस्य हैं और हमारे भी फेसबुक एकाउंट हैं.
      हममे से अमिताभ ठाकुर को उनके फेसबुक एकाउंट पर आज प्रातः चंडीगढ़ निवासी जयभोजपुरीडॉटकॉम के श्री पंकज प्रवीण का एक ईमेल प्राप्त हुआ जिसमे उन्होंने अत्यांर व्यथित हो कर लिखा था-
"Dear Sir..Need your urgent help for removing this page and punishing the concern criminal https://www.facebook.com/gurumaharaaaaaaaaaaaaaaaaaaaj. Please respond Regards Praveen"
हमने इस ईमेल से जुड़ा फेसबुक पेज देखा जिसका नाम था मुल्लागुरु आचार्य स्वामी बाबा प्रचंडनाथ जी के इस्लामिक कटु वचन. इसमें ऊपर एक तस्वीर लगी है जिसमे तीन अर्धनग्न महिलाएं हैं जो सामान्य रूप से हिंदू देवियों की प्रतिरूप बनायी गयी हैं. वही बगल में एक और तस्वीर बनी है जो हिंदू देवी के रूप में है लेकिन अर्धनग्न किस्म की है. अब तक इसे 1,172 व्यक्तियों द्वारा पसंद (likes) किया जा चुका है. इसी तरह ऊपर लिखा है- "Book सभी भक्त पेज कोड को समस्त फेसबुक पर फैलाएं ...@[129163563925367:0]"
विस्तार से देखने पर ज्ञात हुआ कि यह पेज इसी साल 13 फ़रवरी को शुरू किया गया. इस पर पहले इस्लाम, हजरत मुहम्मद साहब और अन्य इस्लामिक महापुरुषों, इस्लामी श्रद्धा और भावना और इस्लाम का पालन करने वालों के प्रति अत्यंत ही अश्लील, घृणित और आपत्तिजनक शब्द अंकित किये गए जिस पर कई सारे अन्य लोगों की उसी प्रकार की बहुत ही गन्दी, अत्यंत घटिया और समस्त सीमाओं को लांघती टिप्पणियाँ अंकित की गयीं. आगे चल कर इस पर हिंदू देवी-देवताओं, धत्मिक मान्यताओं और विश्वास और हिंदू धर्मावलंबियों के सम्बन्ध में इसी प्रकार के अत्यंत ही घृणित, आपत्तिजनक और गंदे शब्द प्रयुक्त किये गए और हिंदू देवियों की कथित नंगी और अर्ध-नग्न तस्वीरें भी प्रस्तुत की गयीं. हम उन शब्दों को अपने प्रार्थनापत्र में प्रस्तुत नहीं करना चाहते जिनका प्रयोग किया गया है. हम इस पूरे पेज के कुछ भाग एक संलग्नक के रूप में यहाँ संबद्ध कर प्रस्तुत कर रहे हैं और अत्यावश्यक साक्ष्य की नितांत आवश्यक मजबूरी के साथ दोनों ही धर्मों के समस्त मतावलंबियों से बहुत-बहुत क्षमायाचना करते हुए अत्यंत दुखी मन और बेहद कष्ट और क्षोभ के साथ दोनों धर्मों से सम्बंधित मात्र एक-एक टिप्पणी के थोड़े-थोड़े अंश अपनी प्रथम सूचना रिपोर्ट में अंकित कर रहे हैं. मुस्लिम धर्म के सम्बन्ध में प्रयुक्त ऐसे कुछ शब्द हैं-"परम् शिष्यो..............आज आपको हम ......शिया........मुल्लों के बारे में बतयगें. ये शिया वो मुल्ले थे जो पिग अम्बर के दामाद की #$%& चाटते थे और #$%& से निकले तरल पदार्थ को ग्रहण करते थे और इस दुनिया में पिग अम्बर नाम की कोई चीज नही है क्योंकि हमने उसकी #$%& मार मारकर व #$%& चुसा चुसा कर हमने हत्या कर दी."  हिंदू धर्म से सम्बंधित वे अत्यंत अश्लील शब्द हैं- "उदाहरणार्थ- "chalo ji aajao maidan me ab sita ma or paravti ma #$%& 082 23 844097". चूँकि वे शब्द अत्यंत वीभत्स और अश्लील हैं अतः हमने यहाँ उन शब्दों की जगह #$%& लिखा है जो मूल रूप में संलग्नक में संबद्ध हैं.
इस तरह की बातों पर सैकड़ों लोगों की टिप्पणियाँ हैं जिनमे पीएसईबी सेखा से पढ़े मउ में रह रहे उत्तर प्रदेश पुलिस के कथित थाना प्रभारी श्री मनोज भारतीय, लखनऊ के श्री विनोद कुमार सिंह तथा कानपुर विश्वविद्यालय में कार्यरत श्री आशीष अवस्थी शामिल हैं.
जो तथ्य इन गुनाहगारों तक पहुँचने में मदद कर सकते हैं उनमे वेबलिंक https://www.facebook.com/gurumaharaaaaaaaaaaaaaaaaaaaj तथा ये शब्द "#$%& की #$%& पर लात मारने के लिए सभी भक्त पेज कोड को सिर्फ प्लस का चिन्ह हटाते हुए समस्त फेसबुक पर आग की तरह फैलाएं ...@+[129163563925367:0]" शामिल हैं.  
सारी
सीमाओं को तोड़ कर अत्यंत अश्लील, वीभत्स तथा घृणित टिप्पणियों कई लोग बहुत अधिक आहत भी हुए. इनमे बैंगलोर के श्री मोदी रियाज़ और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के श्री फारिस अंसारी बागी शामिल हैं जिन्होंने इन शब्दों की कड़ी आलोचना की गयी.
इन शब्दों के जरिये तमाम हिंदू देवी-देवताओं के प्रति हमारी आस्था के साथ सीधे-सीधे खिलवाड़ किया गया है, उनकी छवि अत्यंत गंदे रूप में प्रस्तुत की ही गयी है, साथ ही इनके द्वारा समाज में विद्वेष बढाने, लोगों को गलत ढंग से उकसाने, लोगों को विचार-समूहों और अन्य आधारों पर बांटने का प्रयास भी किया गया है. यही बात इस्लाम धर्म के पालन करने वालों तथा उनके महत्वपूर्ण व्यक्तियों तथा भावनाओं और मान्यताओं के लिए भी कही गयी है. जिस प्रकार से इस ग्रुप में हिंदू देवी-देवताओं, हिंदू धर्म, इस्लाम के धर्मावलंबियों, इस्लामिक मान्यताओं आदि के लिए अपशब्द प्रयुक्त किये हैं और उन पर द्वेषपूर्ण ढंग से कदाशयता के साथ आपस में गंभीर आरोप लगाया गया है उसका एकमात्र उद्देश समाज और देश में घृणा के भाव जागृत करना, आपस में भेदभाव बढ़ाना, नफरत पैदा करना, लोगों को धर्म और धार्मिक पुरुषों के नाम पर आपस में लड़ाना-भिड़ाना और ऐसे ही गंदे और आपराधिक दुष्परिणाम पैदा करना है. इसके साथ ही इस प्रकार के भडकाऊ, भेद-भाव पैदा करने वाले शब्दों के कई अन्य गंभीर परिणाम हैं जो सीधे तौर पर लोक शांति और लोक व्यवस्था के लिए घातक हैं.
इससे पूर्व भी फेसबुक पर लगातार इस तरह के अत्यंत खतरनाक, घृणास्पद तथा नफरत फ़ैलाने वाले ग्रुप बनाए जाते रहे हैं जिन पर दुर्भाग्यवश कोई कार्यवाही नहीं की गयी और ना ही फेसबुक इन्क० इस ओर तनिक भी सचेत होती दिखती है. वर्तमान ग्रुप भी कुछ दिनों से चल रहा है और प्राप्त जानकारी के अनुसार कई लोगों ने इसके विरुद्ध आपत्ति भी जाहिर की है पर अभी तक फेसबुक द्वारा इस ओर कोई भी समुचित कदम नहीं उठाया गया है.
कृपया यह भी ज्ञातव्य हो कि इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी अधिनियम 2000 की धारा 79(2)(सी) में यह अंकित है कि यदि इंटरमिडीएरी अर्थात सर्विस प्रोवाइडर आवश्यक सावधानियां बरतता है तो वह अन्य लोगों द्वारा संप्रेषित सूचनाओं के लिए जिम्मेदार नहीं होगा. इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी अधिनियम 2000 के तहत बनाए गए इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी (इंटरमिडीएरी गाइडलाइन्स) नियम 2011 के नियम तीन में इन सर्विस प्रोवाइडर को अपने वेबसाईट पर यह स्पष्ट करना होता है कि उसके उपभोक्ता किस प्रकार की बातें नहीं लिख या प्रसारित कर सकते तथा नियम 11 के अनुसार प्रत्येक सर्विस प्रोवाइडर को अपने वेबसाईट पर एक या अधिक शिकायत अधिकारियों के नाम और उनके संपर्क पते प्रकाशित करना अनिवार्य है. फेसबुक कंपनी इन नियमों का पालन नहीं कर रहा है. हम दोनों ने इन नियमों के पालन हेतु मा० इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच में अब तक दो रिट याचिकाएं  3489/2012 (एमबी) तथा 9359/2012 (एमबी) दायर की हैं और इनमे मा० न्यायालय के स्पष्ट आदेशों के बाद भी फेसबुक द्वारा इन आदेशों का भी खुला उल्लंघन करते हुए नियम तीन और 11 का अनुपालन नहीं किया गया है, जिससे यह स्पष्ट है उनके द्वारा आवश्यक सावधानियां नहीं बरती जा रही हैं. अतः इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी अधिनियम 2000 की धारा 79 के तहत इस प्रकार के आपराधिक कृत्य के प्रति जानबूझ कर आँखें मूंदे रहने और इस प्रकार के अपराध करने के अवसर प्रदान करने के कारण फेसबुक, इंक० की भी अपनी आपराधिक जिम्मेदारी पूरी तरह बन रही है.
कृपया यह भी ज्ञातव्य हो कि ऐसा लगता है कि पूर्व में पुलिस के स्तर पर हमारे द्वारा पंजीकृत इस प्रकार के मामलों में गहराई से ध्यान नहीं दिया गया. हमने आपके थाना गोमतीनगर में ही क्रमशः मु०अ०स० 72/2011 धारा 153A/153B/290/504/506 IPC तथा धारा 66A आईटी एक्ट (अमिताभ ठाकुर) एवं थाना गोमती नगर, जनपद लखनऊ में मु०अ०सन० 952/11 धारा 153, 153A, 153B, 290, 504, 506 आईपीसी एवं 66 आई० टी० एक्ट (नूतन ठाकुर) पंजीकृत कराया था पर इनमें अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गयी जान पड़ती है. इसके अलावा नूतन ठाकुर द्वारा थाना सिविल लाइन्स, जनपद मेरठ में पंजीकृत मु०अ०सन० 159/2011 धारा 153A/153B/290/504/506 IPC तथा धारा 66A आईटी एक्ट में भी कोई सार्थक कार्यवाही नहीं की गयी दिखती है. ये तीनों मामले बहुत ही महत्वपूर्ण और गंभीर किस्म के हैं लेकिन इनमे कोई सार्थक कार्यवाही के अभाव में इस प्रकार के आपराधिक कृत्य बार-बार घट रहे दिखते हैं. 
अतः जानबूझ कर सामाजिक विद्वेष पैदा करना, नफरत और शत्रुता के भाव पैदा करना, राष्ट्र की अखंडता तथा राष्ट्रीय एकता को नुकसान करने हेतु  गलत ढंग से प्रभावित करने वाले वक्तव्य देना, लोक न्यूसेंस, जानबूझ कर किया गया अपमान जिससे लोक शांति भंग होने संभावित हो , लोक रिष्टिकारक वक्तव्य तथा आपराधिक अभित्रास जैसे आपराधिक कृत्यों तथा इस हेतु इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी का प्रयोग किये जाने के परिप्रेक्ष्य में  उपरोक्त आपराधिक कृत्य के संज्ञेय अपराध होने के कारण धारा 154 सीआरपीसी के अंतर्गत इनके सम्बन्ध में उचित धाराओं में नियमानुसार आपराधिक मुक़दमा पंजीकृत कर विवेचना करने की कृपा करें.
हम यह विशेषकर निवेदन करेंगे कि समाज और दो प्रमुख धर्मों के धर्मावलंबियों के प्रति किये गए इस इन अत्यंत गंभीर अपराध के सम्बन्ध में एफआईआर दर्ज नहीं किया जाना संभवतः स्वयं भी एक गंभीर अपराध होगा.
                                                            
भवदीय,


पत्र संख्या- AT/FB/Mulla/01                            (अमिताभ ठाकुर) (नूतन ठाकुर)
दिनांक- 17/02/2013                                  5/426, विराम खंड,
                                                                                                                         
        गोमती नगर ,लखनऊ  
                                                                                                                                              94155-34526, 94155-34525

                                                    
amitabhthakurlko@gmail.com
                                                                                                                                              nutanthakurlko@gmail.com
 
संलग्नक- इस फेसबुक ग्रुप/पेज के कुछ अंश 

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