Thursday, January 7, 2016

[rti4empowerment] नई सूचना अधिकार नियमावली के खिलाफ आरटीआई एक्टिविस्टों ने दी आंदोलन की धमकी

 

नई सूचना अधिकार नियमावली के खिलाफ आरटीआई एक्टिविस्टों ने दी आंदोलन की धमकी

2016-01-07 05:24:29
लखनऊ। यूपी के प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली 2015 को आरटीआई एक्टिविस्टों ने चुनौती दी है। आरटीआई एक्टिविस्टों ने राज्यपाल राम नाईक को पत्र लिखकर इस नियमावली पर रोक लगाने की मांग की है। उनका आरोप है कि नियमावली आरटीआई एक्ट के प्राविधानों के खिलाफ है। इसके लागू होने पर आरटीआई आवेदकों को सूचना नहीं मिलेगी जबकि उनकी जान को खतरा पैदा हो जाएगा। इसके खिलाफ आरटीआई एक्टिविस्टों नें सड़क पर उतरने और कानूनी लड़ाई छेड़ने का एलान किया है। 
               
गौैरतलब हो कि बीते 3 दिसम्बर 2015 को यह नियमाववी जारी की गई है। आरटीआई एक्टिविस्टों ने अखिलेश सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया है कि इस नियमावली के अनेकों नियम पूरी तरह से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की मूल मंशा के खिलाफ हैं। येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा के अनुसार अब तक यूपी में जनसूचना अधिकारियों और सूचना आयुक्तों के नापाक गठजोड़ के चलते आरटीआई आवेदकों को सूचना आयोग जाने पर अपमान और उत्पीडन सहने को बाध्य होना पड़ रहा था। उर्वशी ने बताया कि राज्यपाल ने अगामी 11 जनवरी को आरटीआई आवेदकों के उत्पीड़न के संबंध में बातचीत के लिए राजभवन बुलाया है। मुलाकात के दौरान राज्यपाल से नई आरटीआई नियमावली पर रोक लगाने के संबंध बातचीत होगी। यदि कोई फैसला नहीं हुआ तो आरटीआई एक्टीवेस्ट आंदलन छेड़ेगें और कानूनी लड़ाई भी लड़ी जाएगी। उर्वशी के मुताबिक नई नियमावली के नियम 13(3) में सूचना आवेदक की मृत्यु पर उसके समस्त आरटीआई आवेदनों पर सूचना दिलाने की कार्यवाहियां रोक देने की असंवैधानिक व्यवस्था की गई है। इससे ऊंची पंहुचवाले और रसूखदार लोकसेवकों के भ्रष्टाचार के मामलों की सूचना मांगे जाने पर आरटीआई आवेदकों की हत्याएं किए जाने का खतरा पैदा हो गया है।  
        
उर्वशी ने बताया कि उनका संगठन साल 2011 से ही 'सूचना का अधिकार बचाओ उत्तर प्रदेश अभियान'( यूपीसीपीआरआई )  के माध्यम से यूपी में आरटीआई एक्ट और आरटीआई आवेदकों के हित संरक्षित रखने के मुद्दों पर कार्य कर रहा है। हत्याएं रोकने के एक उपाय के तौर पर आरटीआई आवेदकों द्वारा मांगी गई सूचनाएं संबंधित विभाग और सूचना आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कराने की मांग की जाती रही है। नई नियमावली के नियम 13(3) के लागू होने से आरटीआई आवेदकों की जान को गंभीर खतरा उत्पन्न होने के मद्देनज़र ही इसका पुरजोर

विरोध किया जा रहा है। नियमावली के नियम 12 में जनसूचना अधिकारी के आवेदन पर भी आयुक्त द्वारा अपने आदेश को वापस लिए जाने  और नियम 9(1) में  आरटीआई आवेदकों को आयोग में जबरन समन करने की व्यवस्था को उर्वशी ने गैर-कानूनी बताया है।

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Posted by: urvashi sharma <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
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