Tuesday, November 18, 2014

[rti4empowerment] पारदर्शिता से परहेज करते पारदर्शिता के रखवाले : आयुक्तों की संपत्ति की सूचना सार्वजनिक न करने को कुतर्कों तक का सहारा ले रहे सूचना आयोग

 

https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir/posts/1554261851456967

Lucknow. भारत में पारदर्शिता की मुहिम के लिए भला इससे बड़ा और कोई दुर्भाग्य क्या होगा जब पारदर्शिता के रखवाले ही पारदर्शिता से परहेज करते नज़र आ रहे हैं l सामाजिक संगठन 'तहरीर' के संस्थापक लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा दायर एक आरटीआई में केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा अपने आयुक्तों की संपत्ति की सूचना सार्वजनिक न करने के लिए कुतर्कों का सहारा लेने
का एक मामला सामने आया है तो बहीं संजय शर्मा द्वारा दायर एक अन्य आरटीआई में उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के आयुक्तों द्वारा अपनी संपत्ति की जानकारी अभी तक आयोग को ही नहीं दिए जाने का खुलासा हुआ है l

‪#‎तहरीर‬ ‪#‎tahrir‬{ Transparency, Accountability & Human Rights' Initiative for Revolution – TAHRIR } . भारत में लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था है l

संजय ने बताया कि केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने लोकपाल और लोकायुक्त कानून के तहत "लोकसेवक :फर्निशिंग आफ इनफार्मेशन एंड एनूअल रिटर्न आफ एसेट्स एंड लाइबलिटीज एंड द लिमिट्स आफ एम्जेम्पशन आफ एसेट्स इन फाइलिंग: नियम, 2014" अधिसूचित किया था । इसके तहत सभी लोकसेवकों के लिये अपनी,अपनी पत्नी/पति तथा आश्रित बच्चों की संपत्ति और देनदारियों का ब्यौरा देना
अनिवार्य हो गया था जिसके लिए 5 नये फार्म जारी किये गये थे जिनमें नकदी, बैंक जमा, बांड, डिबेंचर्स, शेयर तथा कंपनियों की इकाइयों या म्यूचुअल फंड में किये गये निवेश, बीमा पालिसी, भविष्य निधि, व्यक्तिगत रिण तथा अन्य किसी व्यक्ति या इकाई को दिया गया कर्ज समेत अन्य संबंधित जानकारी देनी अनिवार्य थी ।फार्मों के अनुसार लोकसेवकों को अपने, पति-पत्नी या अपने उपर आश्रित बच्चों के पास
उपलब्ध वाहनों, विमान या जहाज, सोना एवं चांदी के आभूषण तथा अपने पास रखे गये सर्राफा के बारे में भी जानकारी देनी थी। लोकसेवकों को अचल संपत्ति तथा रिण एवं अन्य देनदारियों के बारे में 31 मार्च 2014 की स्थिति के आधार पर 15 सितम्बर 2014 तक जानकारी देनी थी। नए नियमों के मुताबिक, अगर लोकसेवक समय पर संपत्ति की जानकारी नहीं देते हैं या गलत ब्योरा देते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई का
प्रावधान है।

केंद्रीय सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी और उपसचिव सुशील कुमार ने 20 अक्टूबर को दिए जबाब में लिखा है कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 के तहत बनाये गए "लोकसेवक :फर्निशिंग आफ इनफार्मेशन एंड एनूअल रिटर्न आफ एसेट्स एंड लाइबलिटीज एंड द लिमिट्स आफ एम्जेम्पशन आफ एसेट्स इन फाइलिंग: नियम, 2014" के अंतर्गत कार्यवाही प्रचलन में है। संजय का कहना है कि उन्होंने सूचना आयुक्तों द्वारा
संपत्ति की घोषणा के 5 फार्मों की सत्यापित प्रतियां माँगी थीं और सुशील कुमार का कार्यवाही प्रचलन में होना लिखना सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा की सूचना सार्वजनिक न करने के लिए कुतर्कों का सहारा लेने से अधिक कुछ भी नहीं है l संजय ने इस मामले में केंद्रीय सूचना आयोग के अपीलीय अधिकारी ए. के. दाश को अपील भेज दी है l

उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी ने 30 सितम्बर को दिए जबाब में लिखा है कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 के तहत बनाये गए "लोकसेवक :फर्निशिंग आफ इनफार्मेशन एंड एनूअल रिटर्न आफ एसेट्स एंड लाइबलिटीज एंड द लिमिट्स आफ एम्जेम्पशन आफ एसेट्स इन फाइलिंग: नियम, 2014" के अंतर्गत राज्य सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा के 5 फार्मों की सत्यापित प्रतियां उत्तर प्रदेश
राज्य सूचना आयोग के कार्यालय में धारित ही नहीं हैं l

संजय ने राज्य सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा की सूचना अभी तक आयोग को भी नहीं दिए जाने पर खेद व्यक्त करते हुए बताया कि कुछ नवनियुक्त सूचना आयुक्तों द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपने परिवारीजनों के नाम पर अचल सम्पत्तियों में भारी निवेश की शिकायतों की पुष्टि करने हेतु ही उन्होंने यह आरटीआई डाली थी और इस आरटीआई के जबाब ने उनकी नवनियुक्त सूचना आयुक्तों
द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपने परिवारीजनों के नाम पर अचल सम्पत्तियों में भारी निवेश की आशंका को और भी पुष्ट कर दिया है l संजय ने अब राज्य सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा की सूचना अभी तक सार्वजनिक नहीं करने के इस मामले में राज्यपाल से मिलकर राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की अपील करने की बात कही है l

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Posted by: urvashi sharma <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
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