Friday, November 21, 2014

[rti4empowerment] Navbharat Times जजों के आगे माननीय लगाना जरूरी नहीं

 

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जजों के आगे माननीय लगाना जरूरी नहीं

Nov 22, 2014, 06.30AM IST

-शहर के एक आरटीआई कार्यकर्ता को मिले जवाब में हुआ खुलासा

रोहित मिश्र, लखनऊ

आपने जजों के नाम के आगे अक्सर 'माननीय' लगा देखा होगा। हालांकि ये जरूरी नहीं कि उनके नाम के आगे माननीय लगाया ही जाए। ये लोगों की इच्छा के ऊपर है कि वे जजों के नाम के आगे 'माननीय' इस्तेमाल करना चाहते हैं या नहीं।

करीब दो महीने पहले राजधानी के ही आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से इसका जवाब मांगा था। पेशे से इंजीनियर संजय ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर जानकारी चाही थी कि आखिर क्या कारण है कि जजों के नाम के आगे अनिवार्य रूप से माननीय लिखा रहता है। केंद्रीय जनसूचना अधिकारी (सीपीआईओ) और सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल रजिस्ट्रार अजय अग्रवाल ने इसके संबंध में जवाब भेजा है कि
जजों के नाम के आगे माननीय लगाने के लिए स्पष्ट तौर पर कोई नियम/आदेश/शासनादेश या अधिनियम मौजूद नहीं हैं। संजय ने इस जवाब के बाद कहा है कि जजों के नाम के आगे माननीय लगाना व्यक्ति की इच्छा होनी चाहिए। अगर कोई किसी जज के नाम के आगे माननीय नहीं लगाना चाहता तो उसे न्यायाधीश की बेइज्जती नहीं मानना चाहिए।

राष्ट्रपति को भेजेंगे ज्ञापन

संस्था तहरीर (ट्रांसपेरेंसी, एकाउंटेबिलिटी एंड ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव फॉर रेव्योल्यूशन) के संस्थापक संजय कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट से मिले इस जवाब के बाद वह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को इस संबंध में एक ज्ञापन देने जा रहे हैं। संजय कहते हैं कि जजों के नाम के आगे माननीय लगाना एक तरह का चलन है क्योंकि इसके बारे में जनता को जानकारी नहीं है। ऐसे में जनता को इस तथ्य के बारे
में जानकारी दी जानी चाहिए कि ये शर्त नहीं है कि जजों के नाम के आगे माननीय लगाया जाए। ये व्यक्ति के ऊपर होना चाहिए कि वह किसी माननीय कहना चाहता है और किसे नहीं।

नहीं है किसी भी जज की संपत्ति का रिकॉर्ड

संजय ने अपनी आरटीआई में मुख्य न्यायाधीश समेत दूसरे जजों की संपत्ति के ब्योरे के बारे में भी जानकारी चाही थी। संजय कहते हैं कि पर्सनल एंड ट्रेनिंग डिपार्टमेंट ने जुलाई में लोकपाल और लोकायुक्त एक्ट के तहत सभी पब्लिक सर्वेंट्स को उनकी संपत्ति का ब्योरा घोषित करने के लिए कहा था। हालांकि अभी तक इस बारे में जजों ने कोई जानकारी नहीं दी है। संजय की आरटीआई के जवाब में अजय
अग्रवाल ने कहा है कि इस तरह की कोई जानकारी उनके पास नहीं है।

'ये लोगों के ऊपर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वे जजों के नाम के आगे माननीय लगाते हैं या नहीं। जहां तक मैं सोचता हूं कि जजों के नाम के आगे माननीय लगाना गैर बराबरी का प्रतीक है और मनवाधिकार के साथ ही भारत में समानता के अधिकार का हनन है।'

संजय शर्मा, आरटीआई एक्टिविस्ट

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Posted by: urvashi sharma <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
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