Sunday, July 8, 2012

[rti4empowerment] RTI: 9 POINT DEMAND NOTE ISSUED

 

http://upwebnews.com/News%20july%2012/news-08072012-lucknow-rti-urvash-sharma.htm

RTI: संशोधन के लिए नौ सूत्री मांग पत्र जारी
Tags: RTI: 9 POINT DEMAND NOTE ISSUED
Publised on : 08 July 2012, Time: 18:29

लखनऊ, 7 जुलाई। (उत्तर प्रदेश समाचार सेवा)। स्वयंसेवी संगठन येश्वर्याज
सेवा संस्थान ने सूचना के अधिकार के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए नौ
सूत्री मांग पत्र जारी किया है l
इस मुद्दे पर बात करते हुए संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा नें कहा कि
दिनांक १४-०९-२००५ को गठित होने के उपरान्त उत्तर प्रदेश राज्य सूचना
आयोग में दिनांक २२-०३-२००६ से कार्य आरम्भ हुआ था l हम अपने अनुभवों से
यह जानते हैं कि तब से लेकर अब तक सूचना का अधिकार प्रयोग करने बाले
नागरिकों की अपेक्षाओं के मार्ग में जन सूचना अधिकारियों,अपीलीय
अधिकारियों,प्रशासनिक सुधार विभाग और उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना
आयुक्तों द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम की मनमानी व्याख्या कर
सूचना प्रदान करने के मार्ग में छद्म अवरोध उत्पन्न कर अधिनियम की मूल
भावना की घोर अनदेखी की गयी है l प्रदेश में "सूचना का अधिकार अधिनियम"
की दशा सुधारने के लिए हमारे संगठन नें उत्तर प्रदेश में "सूचना का
अधिकार अधिनियम" के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए "नौ सूत्री मांगों " को
लक्षित कर सुझावात्मक मांग पत्र तैयार किया है l

१-राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों पर पद विज्ञापित
कर, आवेदन प्राप्त कर पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा सर्वोत्तम अभ्यर्थी की
नियुक्ति की जाएँ न कि मनोनयन;
२-आयोग में पचास हज़ार से अधिक लंबित वादों का समयबद्ध निस्तारण किया जाए
एवं प्रत्येक वाद में सुनवाईयों की अधिकतम संख्या / आयोग में वाद चलने
की अधिकतम अवधि का निर्धारण किया जाए;
३-नवीन वाद आयोग में प्राप्त होने के तीसरे दिन प्रथम सुनवाई के लिए
सूचीबद्ध हो जिसमें पत्रावली के प्रपत्रों के आधार पर प्रतिवादी को
आवश्यक निर्देश देकर वाद दूसरी सुनवाई का नोटिस वादी को पंजीकृत पत्र के
माध्यम से भेजा जाए;
४- सभी वादों के अंतरिम एवं अंतिम आदेश आयोग की वेब-साईट पर आदेश जारी
होने के दिन ही अपलोड किये जायें;
५-राज्य सूचना आयोग द्वारा अधिनियम की धाराओं यथा धारा ४,७,८,२० आदि का
अधिनियम की मूल भावना के अनुसार अनुपालन सुनिश्चित किया/कराया जाए और
अन्यथा की स्थिति में सम्बंधित जन सूचना अधिकारियों,अपीलीय अधिकारियों
अन्य लोकसेवकों पर दंड अधिरोपित किया जाए एवं राज्य सूचना आयोग द्वारा
अधिनियम की धारा १८ के तहत शिकायत प्राप्त कर शिकायत पर उसी दिन सुनवाई
कर समुचित आदेश जारी किये जाएँ;
६-राज्य सूचना आयोग द्वारा पूर्व में अधिरोपित दो करोड़ से अधिक दंड राशि
को अधिकतम तीस दिनों में राजकोष में जमा कराया जाए एवं अधिरोपित नए
अर्थदंड की बसूली दंड अधिरोपण के तीस दिन के अन्दर सुनिश्चित की जाए;
७-सूचना का अधिकार अधिनियम संबंधी कार्यों के लिए हिंदी और अंगरेजी की
तरह उर्दू भाषा में किये गए पत्राचार को भी मान्यता प्रदान की जाए और
वादी द्वारा प्रार्थना पत्र उर्दू में देने पर उस प्रकरण की आगे की सारी
कार्यवाही उर्दू में ही की जाए;
८- सूचना का अधिकार प्रयोग करने बाले नागरिकों का उत्पीडन रोका जाए एवं
ऐसे प्रकरणों की जांच के लिए प्रथक जाँच संस्था का गठन किया जाए ;
९- सूचना के अधिकार के क्रियान्वयन के प्रभावी अनुश्रवण हेतु प्रदेश के
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय समिति में सूचना के
अधिकार के क्षेत्र में कार्य करने बाले समाजसेवियों का ५० प्रतिशत
प्रतिनिधित्व हो एवं इस समिति की बैठक प्रत्येक माह के दूसरे शनिवार को
हो;
"हम इस मांगपत्र को लेकर जनता के बीच जाएँगे और उनके विचार जानकर
उनसे इस मांगपत्र पर हस्ताक्षर कराये जायेंगे l जनता से प्राप्त नवीन
मांगों का समावेश कर यह मांगपत्र दिनांक १५ जुलाई के धरने के बाद उत्तर
प्रदेश के महामहिम राज्यपाल , माननीय मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष (
विधान सभा ) को हस्तगत कराया जायेगा ताकि पारदर्शिता का यह औजार सरकारी
मशीनरी को भ्रष्टाचार की जंग से मुक्त रख सके" उर्वशी ने बताया l

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