Sunday, September 4, 2016

[rti4empowerment] ? पारदर्शिता का प्रहरी बनाए गए यूपी सूचना आयोग का अपने कामकाज में पारदर्शी होने से इनकार.

 


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Lucknow/05 September 2016 ………. अपने कामकाज में पारदर्शी रवैया अपनाने से इनकार के बाद आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में पारदर्शिता का प्रहरी बनाए गए राज्य सूचना आयोग का  निहायत विरोधाभासी पक्ष सामने आया है.यूपी के समाजसेवियों द्वारा समाजसेविका उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में सूचना आयोग में पारदर्शिता स्थापित करने के लिए लम्बे समय से चलाई जा रही मुहिम को तगड़ा झटका देते हुए उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग ने अपने सुनवाई कक्षों में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था कराने से साफ-साफ मना कर दिया है. आयोग ने यह निर्णय लखनऊ की समाजसेविका उर्वशी शर्मा द्वारा इस सम्बन्ध में उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ में दायर की गयी एक याचिका पर बीते 13 जुलाई को उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के साथ दिए गए प्रत्यावेदन का निस्तारण करते हुए दिया है.समाजसेवियों ने आयोग के इस निर्णय को आयोग के गठन के उद्देश्य के प्रतिकूल बताते हुए आयोग के इस विरोधाभासी कदम की घोर भर्त्सना की है और इस मामले में अपनी लड़ाई को धार देने की बात कही है.

  
बताते चलें कि सूचना आयोग में आने वाले आरटीआई प्रयोगकर्ताओं को सुनवाई कक्षों में सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखने से रोकने के लिए सूचना आयुक्तों द्वारा असत्य आरोप लगाकर उनके साथ मारपीट करने और झूठे मामलों में फंसाकर पुलिस के हवाले कर जेल भिजवाने की घटनाओं की बढ़ती संख्याओं के मद्देनज़र यूपी के समाजसेवी लखनऊ की वरिष्ठ आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में लम्बे समय से उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के  सुनवाई कक्षों में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था कराने की मुहिम चला रहे हैं.


इस मुहिम के अंतर्गत उर्वशी शर्मा की अगुआई में सूचना आयुक्तों का पुतला दहन, सूचना आयोग में कार्य वहिष्कार और सूचना आयोग के उद्घाटन के दिन उपराष्ट्रपति के विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम भी आयोजित किये जा चुके हैं. लखनऊ पुलिस ने इस मामले में उर्वशी के साथ आरटीआई कार्यकर्त्ता तनवीर अहमद सिद्दीकी को उपराष्ट्रपति के आगमन से 1 दिन पहले पुलिस हिरासत में ले लिया  था और उपराष्ट्रपति के जाने के बाद ही रिहा किया था.
  

समाजसेविका उर्वशी ने एक विशेष बातचीत में बताया कि उनकी इस मांग को मानते हुए पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त रणजीत सिंह पंकज ने इंदिरा भवन परिसर में सूचना आयुक्तों के सुनवाई कक्षों में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था कराई थी किन्तु पंकज की सेवानिवृत्ति के बाद  सूचना आयुक्तों ने कैमरों को हटवा दिया और वर्तमान मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने कार्यभार सँभालने के बाद  ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था के अवशेष चिन्ह भी मिटा दिए . उर्वशी कहती हैं कि सूचना आयोग के सुनवाई कक्षों में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था कराने के लिए उन्होंने देश और प्रदेश के संवैधानिक पदों पर आसीन सभी पदाधिकारियों को पत्र लिखे  और  धरना प्रदर्शन किया और जब इससे भी सूचना आयोग के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी तो विवश होकर उन्होंने बीते जुलाई महीने में उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ में एक याचिका दायर करके के सुनवाई कक्षों में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था कराने के लिए गुहार लगाई थी.उर्वशी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने बीते जुलाई की 13 तारीख की सुनवाई में उनसे कहा था कि वे न्यायालय के आदेश, जिसमें उच्च न्यायालय ने माना था कि आयोग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता के लिए आयोग के सुनवाई कक्षों में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था आवश्यक है, के साथ अपना मांगपत्र सूचना आयोग को दें. बकौल उर्वशी उन्होंने बीते 16 जुलाई और 21 जुलाई के दो पत्रों के माध्यम से हाई कोर्ट का आदेश आयोग को देते हुए आयोग के सुनवाई कक्षों में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था कराने की माग दोहराई थी जिस पर कार्यवाही करते हुए आयोग के सचिव राघवेन्द्र विक्रम सिंह ने बीते 19 अगस्त को उर्वशी को एक पत्र जारी करते हुए बताया है कि क्योंकि प्रदेश के शीर्ष न्यायिक संस्थान, उच्च न्यायालय,मानवाधिकार आयोग,उत्तर प्रदेश लोक सेवा अधिकरण,महिला आयोग,पिछड़ा वर्ग आयोग,उपभोक्ता फोरम,जनपद न्यायालयों, केन्द्रीय सूचना आयोग में में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था नहीं कराई गयी है अतः सूचना आयोग में भी ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था करने की आवश्यकता व औचित्य नहीं पाया गया है.


हाई कोर्ट के आदेश के बाबजूद सूचना आयोग में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था बहाल करने से मना करने के सूचना आयोग के निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उर्वशी ने इसे आयोग का पारदर्शिता विरोधी कदम बताया और कहा कि यूपी के भ्रष्ट और अयोग्य सूचना आयुक्त अपने भ्रष्टाचार और अयोग्यता के साक्ष्य सार्वजनिक होने के डर से ही सुनवाई कक्षों में सुनवाइयों की पारदर्शी व्यवस्था स्थापित होने का विरोध कर रहे है.उर्वशी ने सूचना आयोग के इस रवैये पर कडा ऐतराज जताते हुए इस मामले में उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर करने की बात कही है.


उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी द्वारा सूचना आयोग में सुनवाइयों की पारदर्शी व्यवस्था स्थापित कराने के मार्ग में रोड़ा अटकाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए उर्वशी ने जावेद उस्मानी को पारदर्शिता विरोधी मानसिकता का अधिकारी बताया और जावेद उस्मानी को सीएम अखिलेश यादव की पारदर्शिता संवर्धन की मुहिम के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा बताया है.

  
To download letter written by Uttar Pradesh State Information Commission  to Lucknow Activist Urvashi Sharma, Please click this we-blink  http://newsyaishwaryaj.blogspot.in/2016/09/no-audio-video-recording-in-up.html

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Posted by: urvashi sharma <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
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