Saturday, September 3, 2016

[rti4empowerment] उर्वशी शर्मा के प्रयासों से यूपी सूचना आयोग में रुकेगा महिलाओं का लैंगिक उत्पीडन l

 


 
पूरा विवरण पाने के लिए इस वेबलिंक पर क्लिक करें http://upcpri.blogspot.in/2016/09/l.html
 
  
Lucknow/03 September 2016 ……….
 
महिलाओं के विरुद्ध अपराधों को लेकर उत्तर प्रदेश सदैव चर्चाओं में रहता है. सूबे में जब-जब समाजवादी पार्टी की सरकार सत्तानशीन होती है तब-तब महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की मामलों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहता है. बीते 4 साल के कार्यकाल में सूबे के मुखिया अखिलेश यादव ने स्वयं महिलाओं के मुद्दों के प्रति संवेदनशीलता का परिचय देते हुए महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तमाम उपायों की घोषणा की हैं पर बड़ा सबाल यह है कि क्या अखिलेश यादव अपने अधिकारियों के अन्दर महिलाओं के मुद्दों को लेकर अपेक्षित संवेदनशीलता  पैदा करने में कामयाब हुए हैं ? यदि 1 चुनाव आयुक्त स्तर और 8 मुख्य सचिव स्तर के अधिकारियों की कार्यस्थली उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग को एक सैंपल के रूप में लिया जाये तो सामने आता है कि अखिलेश के तमाम उपायों के बाद भी उनके अधिकारी आज भी महिला सम्मान और महिला अपराधों के मामलों में निहायत ही गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाए हुए है. शायद यही कारण है कि यूपी के सूचना आयोग में महिलाओं का उत्पीडन होने से रोकने के उद्देश्य से  आयोग में "महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडन (निवारण,प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 के तहत आतंरिक परिवाद समिति ( विशाखा समिति ) का गठन किये जाने के सम्बन्ध में लखनऊ की एक समाजसेविका के 2 वर्षों के सतत प्रयासों और इस आरटीआई कार्यकत्री द्वारा उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ में दायर की गयी एक याचिका पर बीते 13 जुलाई को उच्च न्यायालय का आदेश होने के बाद भी सूचना आयोग ने अभी तक यह समिति नहीं बनाई है.
 
 
 
 
बताते चलें कि यूपी के समाजसेवी सूचना आयोग आने वाली महिलाओं को सूचना आयुक्तों और सूचना आयोग के अन्य अधिकारियों , कर्मचारियों के हाथों उत्पीडित होने से बचाने के लिए आयोग में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 'विशाखा समिति' बनबाने के लिए लखनऊ स्थित वरिष्ठ समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में एक मुहिम चला रहे हैं. इस मुहिम के अंतर्गत उर्वशी की अगुआई में सूचना आयुक्तों का पुतला दहन, सूचना आयोग में कार्य वहिष्कार और सूचना आयोग के उद्घाटन के दिन उपराष्ट्रपति के विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम भी आयोजित किये जा चुके हैं. लखनऊ पुलिस ने इस मामले में उर्वशी के साथ आरटीआई कार्यकर्त्ता तनवीर अहमद सिद्दीकी को उपराष्ट्रपति के आगमन से 1 दिन पहले पुलिस हिरासत में ले लिया  था और उपराष्ट्रपति के जाने के बाद ही रिहा किया था.
 
 
 
 
 
 
समाजसेविका उर्वशी ने एक विशेष बातचीत में बताया कि सूचना आयोग में विशाखा समिति बनबाने के लिए उन्होंने देश और प्रदेश के संवैधानिक पदों पर आसीन सभी पदाधिकारियों को पत्र लिखे  और  धरना प्रदर्शन किया और जब इससे भी सूचना आयोग के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी तो विवश होकर उन्होंने बीते जुलाई महीने में उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ में एक याचिका दायर करके सूचना आयोग आने वाली महिलाओं के सम्मान की सुरक्षा की गुहार लगाई थी.उर्वशी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने बीते जुलाई की 13 तारीख की सुनवाई में उनसे कहा कि वे न्यायालय के आदेश के साथ अपना मांगपत्र सूचना आयोग को दें. बकौल उर्वशी उन्होंने बीते 16 जुलाई और 21 जुलाई के दो पत्रों के माध्यम से हाई कोर्ट का आदेश आयोग को देते हुए आयोग में 'विशाखा समिति' बनाने की माग दोहराई जिस पर कार्यवाही करते हुए आयोग के सचिव राघवेन्द्र विक्रम सिंह ने बीते 19 अगस्त को उर्वशी को एक पत्र जारी करते हुए सूचित किया है कि आयोग में "महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडन (निवारण,प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 के तहत आतंरिक परिवाद समिति ( विशाखा समिति ) के गठन का प्रकरण आयोग में विचाराधीन है एवं यह भी कि इस सम्बन्ध में उचित निर्णय लिया जाएगा.
 
 
 
 
 
 
हाई कोर्ट के आदेश के बाबजूद सूचना आयोग में आतंरिक परिवाद समिति गठित करने के स्थान पर प्रकरण के विचाराधीन होने की सूचना देने को सूचना आयोग का महिला सम्मान रक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर निहायत गैर-जिम्मेदाराना रवैया बताते हुए उर्वशी ने सूचना आयोग के इस रवैये पर कडा ऐतराज जताया है. सूचना आयोग के कार्यरत आयुक्तों के खिलाफ महिला उत्पीडन की लंबित शिकायतों को ठन्डे बस्ते में डाले रखने के लिए ही जावेद उस्मानी द्वारा सूचना आयोग में विशाखा समिति न बनने देने का गंभीर आरोप लगाते हुए उर्वशी ने इस मामले में उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर करने की बात कही है.
 
 
 
 
 
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी द्वारा सूचना आयोग में विशाखा समिति का गठन न करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उर्वशी ने जावेद उस्मानी को महिला विरोधी मानसिकता का अधिकारी करार दिया और जावेद उस्मानी जैसे अधिकारियों को सीएम अखिलेश यादव की महिला सम्मान रक्षा की मुहिम के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा बताया है.
 
To download letter written by Uttar Pradesh State Information Commission  to Lucknow Activist Urvashi Sharma, Please click this we-blink  http://newsyaishwaryaj.blogspot.in/2016/09/l.html
 
Tags : Women,UPSIC,protection,sexual,harassment,efforts,activist,Urvashi, Sharma,jawed,Usmani,lucknow,rti,information,commissioner,Vishakha,committee,
 
 
टैग्स : उर्वशी,शर्मा,सूचना,आयोग,महिला,लैंगिक,उत्पीडन,जावेद,उस्मानी,
 

__._,_.___

Posted by: urvashi sharma <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
Reply via web post Reply to sender Reply to group Start a New Topic Messages in this topic (1)

Have you tried the highest rated email app?
With 4.5 stars in iTunes, the Yahoo Mail app is the highest rated email app on the market. What are you waiting for? Now you can access all your inboxes (Gmail, Outlook, AOL and more) in one place. Never delete an email again with 1000GB of free cloud storage.


.

__,_._,___

No comments:

Post a Comment