Monday, May 4, 2015

[rti4empowerment] आरटीआई दफ़न करने को कब्र खोदते यूपी के आरटीआई कार्यकर्ता: आरटीआई की कब्र खोदने बाले आरटीआई कार्यकर्ताओं पर केंद्रित होगा उर्वशी का अगला राष्ट्रीय सेमिनार : आरटीआई आंदोलन में भेंड की खाल में छुपे भेड़ियों को चिन्हित कर सप्रमाण बेनकाब करेगा उर्वशी का संगठन [4 Attachments]

 
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आरटीआई दफ़न करने को कब्र खोदते यूपी के आरटीआई कार्यकर्ता: आरटीआई की कब्र खोदने बाले आरटीआई कार्यकर्ताओं पर केंद्रित होगा उर्वशी का अगला राष्ट्रीय सेमिनार : आरटीआई आंदोलन में भेंड की खाल में छुपे भेड़ियों को चिन्हित कर सप्रमाण बेनकाब  करेगा उर्वशी का संगठन   



Press Note : Yaishwaryaj Seva Sansthaan : Monday,04/May/2015 लगता है लखनऊ की सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा द्वारा बिना किसी और से कोई आर्थिक मदद लिए, मात्र आरटीआई  के प्रचार प्रसार की  निःस्वार्थ मंशा से  एक राष्ट्रीय आरटीआई सेमिनार आयोजित करना और अपने दिवंगत पिता के नाम पर आरटीआई रत्न पुरस्कार प्रदान करने का सामाजिक प्रयास  करना कुछ आरटीआई कार्यकर्ताओं के गले तो नहीं ही उतरा पर आरटीआई के लिए किए गये उर्वशी के इस सार्थक  प्रयास ने इन आरटीआई कार्यकर्ताओं के पेट में इतनी मरोड़ पैदा कर दी कि वे उर्वशी के इस सेमिनार और आरटीआई रत्न सम्मान समारोह को विफल करने  के लिए इस हद तक गिर गये कि कार्यक्रम के अतिथियों से व्यक्तिगत रूप से मिलकर, फ़ेसबुक द्वारा और मोबाइल द्वारा संपर्क कर कार्यक्रम में आने से रोकने के लिए प्रेरित करने के लिए कमर कस कर झूठे दुष्प्रचार में सक्रिय हो गये.
 
 
इनमें से एक आरटीआई कार्यकर्ता आलोक कुमार सिंह ने एक अतिथि को मोबाइल द्वारा कार्यक्रम में आने से रोकने के लिए हतोत्साहित किया तो एक अन्य आरटीआई कार्यकर्ता महेंद्र अग्रवाल ने एक अतिथि से व्यक्तिगत भेंट कर और एक अन्य को सोशल मीडीया पर संपर्क कर कार्यक्रम में आने से रोकने के लिए प्रेरित करने का कार्य किया. 
 
 
बकौल उर्वशी, उन्होने इन दोनों आरटीआई कार्यकर्ताओं आलोक कुमार सिंह और महेंद्र अग्रवाल  को अपने कार्यक्रम में आमंत्रित तो किया ही था साथ ही साथ महेंद्र अग्रवाल को तो कार्यक्रम में आरटीआई वीरता पुरस्कार से सम्मानित भी किया जाना था. उर्वशी स्तब्ध हैं कि कार्यक्रम में आकर खुले मंच से अपना विरोध व्यक्त करने के स्थान पर महेंद्र अग्रवाल ने बैक-डोर-क्रिटिसिज़्म का ग़लत रास्ता चुना तो वहीं कार्यक्रम में आकर भी आलोक कुमार सिंह ने खुले मंच पर आकर उनकी और उनके  कार्यक्रम की  आलोचना नहीं की जबकि वे भीतर-घात द्वारा कार्यक्रम के दुष्प्रचार में लगे रहे.
 
 
उर्वशी ने कहा है कि अब उनका संगठन आरटीआई आंदोलन में भेंड की खाल में छुपे भेड़ियों को चिन्हित कर सप्रमाण बेनकाब  करने का भी काम करेगा. अपने सेमिनारों द्वारा जनसूचना अधिकारियों,सरकारों,न्यायालयों और सूचना आयोगों की खामियों से संबंधित विषय उठाने बाली उर्वशी ने घोषणा की है कि उनके संगठन द्वारा किए जाने बाला  अगला राष्ट्रीय सेमिनार  आरटीआई की कब्र खोदने बाले आरटीआई कार्यकर्ताओं पर केंद्रित होगा.
 
 
 



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