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उप्र अनुसूचित जाति मेस घोटाले में 9 के खिलाफ परिवाद
Updated Aug 17, 2013 at 07:29 am IST
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रमोद कुमार ने यह आदेश येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव व आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा की अर्जी पर दिया है। अदालत ने वादिनी के बयान के लिए 26 अगस्त की तारीख नियत की है।
उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित लखनऊ स्थित राजकीय गोविन्द बल्लभ पंत पॉलीटेक्निक छात्रावास के अनुसूचित जाति के छात्रों के मेस के धन का गबन करने, मनमाने ढंग से चेक काटकर इस धन को ब्याज पर बाजार में उठा देने, मेस के शुल्क के अभिलेखों में कूटरचना करने जैसे आरोप लगाए गए हैं।
इस मामले में प्रमुख सचिव समाज कल्याण संजीव दुबे, समाज कल्याण के पूर्व प्रमुख सचिव तथा वर्तमान में आवास एवं शहरी नियोजन और सूचना विभाग के प्रमुख सचिव सदाकांत समाज कल्याण के पूर्व निदेशक तथा वर्तमान में विशेष सचिव महिला कल्याण मिश्री लाल के खिलाफ परिवाद दर्ज करने का आदेश दिया गया।
इसके साथ ही पन्त पॉलीटेक्निक के पूर्व प्रधानाचार्य तथा वर्तमान में प्रधानाचार्य राजकीय पॉलीटेक्निक प्रतापगढ़ राजेश चन्द्रा, पन्त पॉलीटेक्निक के कार्यवाहक प्रधानाचार्य कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, प्रवक्ता गणित जयप्रकाश, प्रवक्ता अंग्रेजी श्रद्धा सक्सेना, कला प्रशिक्षक दीप चंद्र तथा प्रवक्ता अंग्रेजी श्रद्धा सक्सेना के पति देवेन्द्र शुक्ला को भी आरोपी बनाया है।
अदालत में दी गयी शिकायत में कहा गया है कि राजकीय गोविन्द बल्लभ पंत पॉलीटेक्निक के छात्रावास में शत प्रतिशत अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्र रहते हैं। इन सभी छात्रों के प्रवेश के समय लिए गए मेस शुल्क के 12 हजार रुपये प्रति छात्र की धनराशि को सीधे बैंक खाते में जमा किया जाना चाहिए लेकिन कॉलेज की प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना ने तत्कालीन अधिकारियों से सांठ गांठ करके इस धन को बैंक
में जमा न करके बाजार में ब्याज पर उठा दिया।
उर्वशी ने बताया कि उन्होंने इस सम्बन्ध में प्रभावी कार्यवाही के लिए बीते 13 मई को प्रमुख सचिव समाज कल्याण संजीव दुबे को अपने अधिवक्ता के माध्यम से कानूनी नोटिस भी दिया था जिस पर कार्रवाई नहीं होने पर उनके द्वारा प्रकरण को अदालत के समक्ष लाया गया है ताकि अनुसूचित जाति के गरीब बच्चों के रुपयों में सेंधमारी करने के आरोपियों को दण्डित करा सकें।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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