http://hindi.news18.com/news/uttar-pradesh/jawed-usmanis-appointment-as-cic-raises-eyebrows-390600.html
न्यूज
#अखिलेश यादव #जावेद उस्मानी #मुख्य सचिव
जावेद उस्मानी को सीआईसी बनाए जाने से पहले शुरू हो गया विवाद
News18 | Gulam Jeelani | Tue Nov 04, 2014 | 20:46 IST
#लखनऊ #उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव जावेद उस्मानी के अधिकारिक तौर पर उत्तर-प्रदेश सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) के रूप में नियुक्ति से पहले ही विवाद शुरू हो गया है।
1978 बैच के आईएएस अधिकारी उस्मानी अभी यूपी बोर्ड राजस्व के अध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने उनका नाम को मंजूरी दे दी है। सूत्रों ने बताया है कि यह फैसला राज्यपाल राम नाइक के पास भेज दिया गया है और वह इस पर अंतिम मोहर लगाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक, उस्मानी की नियुक्ति से पहले सरकार को कई बाधाओं का सामना कर पड़ सकता है। एक गैर लाभकारी संगठन पारदर्शिता, जवाबदेही और मानवाधिकार क्रांति के लिए पहल (टीएएचआरआईआर) ने राज्यपाल को उसमान के खिलाफ एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वह 2016 में रिटायर हो जाएंगे।
ज्ञापन में कहा गया है कि उसमानी का हिंडाल्को कोयला घोटाले में संभावित भागीदारी हो सकती है। केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पहले इस मामले में उत्तर-प्रदेश के मुख्य सचिव और प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व संयुक्त सचिव जावेद उसमानी से पूछताछ करने का फैसला किया था। हालांकि जांच एजेंसी विवादास्पद कोयला ब्लॉक आवंटन के संबंध में उनसे एक गवाह के रूप में पूछताछ
करना चाहती थी।
जावेद उस्मानी को सीआईसी बनाए जाने से पहले शुरू हो गया विवाद
उसमानी एक सेवारत आईएएस अधिकारी है और इसके लिए राज्य सरकार उन्हें वेतन देती है ऐसे में उन्हें पारदर्शिता की निगरानी करने वाले शीर्ष पर नियुक्ति कैसे किया जा सकता है। सीआईसी एक संवैधानिक पद है और सूचना का अधिकार अधिनियम से यह स्पष्ट होता है कि राज्यों को इस पद पर एक ऐसे व्यक्ति को नियुक्त किया जाना चाहिए जो अवलंबी हो और सरकार के किसी भी वेतन रोल पर नहीं होना
चाहिए।
ज्ञापन में कहा गया है कि समाज के व्यापक हित में हम आपसे अनुरोध करते है कि जावेद उस्मानी के नाम को अंतिम मंजूरी न दी जाए।
उल्लेखनीय है कि सीआईसी का पद यह पद विवादास्पद पूर्व नौकरशाह रणजीत सिंह पंकज का कार्याकाल जुलाई में खत्म होने के बाद से खाली हो गया था। समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाने वाले उस्मानी को 2012 के विधानसभा चुनावों में जीत के बाद से मुख्य सचिव बनाया गया है। वह पहले मुस्लिम नेता था जिन्हें मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त किया गया था। हालांकि
लोकसभा चुनावों में हार के बाद उन्हें राजस्व बोर्ड में भेज दिया गया था।
मुख्य सूचना आयुक्त का पद सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश के बराबर होता है जिसका कार्यकाल 5 साल या 65 साल की उम्र पूरा होने तक का होता है। इससे पहले उस्मानी का नाम भारत सरकार में सचिव (विनिवेश) के रूप में और केंद्र सरकार में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में सचिव के रूप में नियुक्त किए जाने की भी उम्मीद थी।
Posted by: urvashi sharma <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
Reply via web post | • | Reply to sender | • | Reply to group | • | Start a New Topic | • | Messages in this topic (1) |
No comments:
Post a Comment