find attachments at http://upcpri.blogspot.in/2014/08/43-44734-8570-19-3-negligible-no-of.html
आरटीआई के आईने में देखकर अपनी नाक के नीचे की गन्दगी साफ करें अखिलेश? चालान की जगह महज धन उगाही तक सीमित हैं ट्रैफिक पुलिस के चेकिंग अभियान : लावारिस हो गया है लखनऊ पुलिस का बहुचर्चित 'पीली पर्ची' अभियान - लखनऊ के 43 थानों में 44734 'पीली पर्ची' पर महज 8570 ( 19% ) ही ऍफ़आईआर दर्ज - सूबे के मुखिया और अधिकारियों के महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने के दिखावों की खुली पोल - राजधानी के महिला थाने में महज 3 प्रतिशत मामलों में ऍफ़आईआर Negligible no. of Challans of Traffic defaulters by Lucknow Police::Govt's Much hyped YELLOW SLIP SYSTEM also orphaned - Its Failure as Out of 44734 Yello Slips,only 8570 ( 19% ) got registered as FIRs in State Capital's 43 Police Stations and Akhilesh says he shall control crime????
राजधानी लखनऊ के सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई के जबाब ने सूबे की राजधानी की ट्रैफिक पुलिस और पुलिस थानों की अपराधियों के ही पक्ष में झुके होने की कार्यप्रणाली की हकीकत को उजागर कर पुलिस का असली घिनौना चेहरा सामने ला दिया है l
भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य मामले में थाने आने बाले प्रत्येक प्रार्थना पत्र पर ऍफ़आईआर दर्ज किया जाना आवश्यक होना अवधारित किया है किन्तु लगता है लखनऊ पुलिस सर्वोच्च न्यायालय के इन निर्देशों को खूंटी पर टांग अपराधियों को संरक्षण देने का रिकॉर्ड बना रही है और थाने आने बाले प्रत्येक प्रार्थना पत्र को तो छोड़िये, पीली पर्चियों पर भी ऍफ़आईआर दर्ज नहीं कर रही है l
बहुचर्चित 'पीली पर्ची' अभियान के तहत थाने में दिए जाने बाले प्रत्येक प्रार्थना पत्र के लिए पावती के रूप में एक 'पीली पर्ची' जारी की जाती है l अब यह तो दीगर बात है कि थानों में पीली पर्ची ही बड़ी मशक्कत के बाद काटी जाती है l लखनऊ के 43 थानों में 'पीली पर्ची' अभियान की शुरुआत से दिसम्बर 2013 तक काटी गयी 44734 'पीली पर्ची' में से महज 8570 ( 19% ) पर ही ऍफ़आईआर दर्ज हुयी हैं जो लखनऊ पुलिस की अपराधों के पंजीकरण के प्रति घोर संवेदनहीनता परिलक्षित करती है l
लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के कार्यालय द्वारा दी गयी सूचना के अनुसार थानों पर 'पीली पर्ची' पर ऍफ़आईआर दर्ज करने के मामलों में 0 % से 100 % तक के मामले हैं l नगराम पुलिस थाने पर काटी गयी किसी भी 'पीली पर्ची' पर कोई ऍफ़आईआर दर्ज ही नहीं की गयी तो वही पीजीआई थाने पर काटी गयी सभी 'पीली पर्ची' पर ऍफ़आईआर दर्ज हो गयी l
राजधानी के महिला थाने पर प्राप्त 802 'पीली पर्ची' में से महज 27 पर ही ऍफ़आईआर दर्ज हुई है l संजय कहते हैं ऐसे में सूबे के मुखिया और अधिकारियों के महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने के दिखावों की पोल स्वतः ही खुल जाती है l संजय कहते हैं कि जब सूबे की राजधानी में अखिलेश की नाक के नीचे ये हाल है तो सूबे के दूरदराज क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति पुलिस की संवेदनशीलता की तो मात्र कल्पना ही की जा सकती है l
संजय कहते हैं कि जब सूबे की राजधानी में अखिलेश की नाक के नीचे ये हाल है तो सूबे के दूरदराज क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति पुलिस की संवेदनशीलता की तो मात्र कल्पना ही की जा सकती है l संजय के अनुसार ऐसे में यदि महिलाओं के प्रति अपराधों में वढोत्तरी हो रही है तो इसमें आश्चर्य नहीं है और यह माना जा सकता है कि ये सब अखिलेश के संज्ञान में है और उनकी पार्टी की किसी रणनीति के तहत ही कराया जा रहा है l
आरटीआई के उत्तर से यह खुलासा भी हुआ है क़ि लखनऊ पुलिस का बहुचर्चित 'पीली पर्ची' अभियान अब लावारिस हो गया है और अभियान के शुरू होने से आज तक इस अभियान के क्रियान्वयन एवं सफलता की समीक्षा के लिए आज तक कोई भी समीक्षा बैठक नहीं हुई है l
आरटीआई के जबाब ने सूबे की राजधानी की ट्रैफिक पुलिस को भी नंगा कर दिया है l हांलांकि जान सूचना अधिकारी ने माना है कि वाहनों पर पुलिस का लोगो लगाना , मजिस्ट्रेट का स्टीकर लगाना गैरकानूनी है किन्तु बीते 14 वर्षों में ट्रैफिक पुलिस ने पुलिस का लोगो लगे होने के महज 313 मामलों में ही कार्यवाही की और बीते 14 वर्षों में मजिस्ट्रेट का स्टीकर लगाने के महज 59 मामलों में ही चालान किया है l
आरटीआई के जबाब अनुसार बीते 7 वर्षों में ट्रैफिक पुलिस ने अवैध एलपीजी किट मामले में महज 99 मामलों में ही कार्यवाही की है l संजय दावा करते हैं कि वे इतने मामले 7 दिन में ही दे सकते हैं और कहते हैं कि ट्रैफिक पुलिस के चेकिंग अभियान चालान की जगह महज धन उगाही तक सीमित होकर रह गए हैं जिसका हिस्सा शायद शासन तक जाता है l
संजय ने राजधानी की पुलिस से नियमानुसार काम ने करने की इस तरह की वेशर्मी छोड़कर कुछ काम नियमानुसार भी करने की नसीहत दी है और सूबे के मुख्यमंत्री से आरटीआई के इस आईने में अपनी नाक के नीचे की गन्दगी देखकर इसे साफ करने की अपेक्षा की है l
संजय कहते हैं कि अब अखिलेश को आरटीआई के इस आईने में अपनी नाक के नीचे जमा हो रही इस गन्दगी को देखकर साफ करने के लिए कुछ करना चाहिए l अरे भाई केवल योजनाएं ही बनाते रहेंगे या उनका क्रियान्वयन भी करेंगे ?
अधिक जानकारी के लिए आप संलग्न प्रपत्र रेफर कर सकते हैं l
RTI of Social Activist & Engineer Sanjay Sharma has revealed
autocratic working by Police of State Capital which has largely been
swayed towards the criminals.
Though as per recent Supreme Court Verdict in Lalita Kumari VS. State
of U. P. case, Filing of FIR on each n every application of crime is
mandatory but U.P. Police, blessed with patronage of SP Govt. have
kept this Supreme Court order in shelf.
You might be remembering that Police deptt. started Yellow slip
system. The data given here relates to time period from inception of
Yellow slip system to 10-12-13.
Data given by office of SSP exposes full spectrum ranging from 0% to
100% conversion of Yellow slips into FIRS.
Mahila Thana of Lucknow filed only 3% i.e. 27 FIRs on 802 Yellow Slips.
Police Station Mohanlalganj, which was in news because of recent rape
& murder of a widow, registered 15% i.e. 260 FIRs on 1685 Yellow
slips.Police Station Hazratganj
registered 5% i.e. 126 FIRs on 2391 Yellow slips.Police Station PGI
registered 100% i.e. 320 FIRs on 320 Yellow slips whilePolice Station Nagram
registered 0% i.e. 0 FIRs on 1016 Yellow slips.
Its even more surprising that as per RTI reply,no meeting has ever
been called to monitor functioning and effectiveness of Yellow Slip
Scheme.Doesn't this mean that this much scheme has been orphaned by
the authorities concerned.
RTI reply has also revealed that there is no rule which allows a LOGO
of Police on Vehicles. Similar is the case with the 'MAGISTRATE'
stickers.
In 14 good years only 293 vehicles faced action of P.B. Challan & 20
vehicles were confiscated for putting logo of police on vehicles.(
Though almost each n every police personnel including IPS are using
these logos.)
Similarly in 14 Years only 59 vehicles faced action for having plates
bearing name,designation etc. of officials. ( Though we can find 59 in
and around secretariat any time in a working day )
From 2007 to 2013, only 44 vehicles faced action of P.B. Challan & 55
vehicles were confiscated for using unauthorized LPG Kit. ( Though one
can find this much in a single day at Hazratganj Crossing only )
When this is the working our police in state capital , we can only
imagine situations at far off districts in UP.
...............and AKHILESH says .........WE SHALL OVERCOME....WE
SHALL OVERCOME...........WE Shall overcome .................some day.
oooo man mein hai vishwaas..........................
But we all know that with such type of statistics coming out
continuously, Akhilesh shall never overcome.
Complete excel-sheet is attached.scanned original papers are also attached.
--
Urvashi Sharma
Founder & Chief Coordinator-UPCPRI
http://upcpri.hpage.com/
Uttar Pradesh Campaign to Protect RTI
http://upcpri.blogspot.in/
Lucknow-India
Contact - 9369613513
Helplines - 8081898081,9455553838
Urvashi Sharma
Founder & Chief Coordinator-UPCPRI
http://upcpri.hpage.com/
Uttar Pradesh Campaign to Protect RTI
http://upcpri.blogspot.in/
Lucknow-India
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Helplines - 8081898081,9455553838
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Posted by: urvashi sharma <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
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