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जब ये खुली सड़क पर ऐसे पेश आते हैं तो न्यायालय में , जहां इनका एक छत्र राज्य होता है , कैसे पेश आते होंगे कल्पना किजीये और सोचिये ये जनता के अधिकारों की किस प्रकार रक्षा करते होंगे| धन्य है भारतीय न्यायपालिका जिसके कन्धों पर न्याय का भार है !
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