Monday, May 25, 2015

[rti4empowerment] यूपी के 7 स्टार 'समाजवादी' सीएम को जनता दर्शन लगे सजा पर विदेशी यात्राओं में आये मज़ा !

 


 
स्नैपशॉट्स -> 3 साल, 5 विदेश यात्राएं पर मात्र 10 जनता दर्शन : 2 -4  घंटों की अवधि दर्शन के जनता दर्शन में पस्त पर 4 -7   दिनों की विदेश यात्राओं में मस्त अखिलेश  : 'जनता' से दूर 'अखिलेश' के दर्शन - पिछले एक साल में कोई जनता दर्शन कार्यक्रम नहीं ! 66 की जगह पर हुए महज 09 ( 13.63%) जनता दर्शन ! : यूपी के 'समाजवादी' सीएम को जनता दर्शन लगता सजा पर जनता के करोङों खर्च कर की गयी  विदेशी यात्राओं में आता मज़ा  : 3 साल, 5 विदेश यात्राएं पर मात्र 10 जनता दर्शन - देखिये 7 स्टार अखिलेशी समाजवाद !
 
हिंदी में पूरा विवरण और आरटीआई के जबाब की स्कैन्ड प्रति पाने के लिए इस वेब-लिंक पर  क्लिक करें : http://tahririndia.blogspot.in/2015/05/7-l.html
 
 
लखनऊ।तहरीर l 25 मई 2015 …… साल 2012 में सत्ता में  आते ही अखिलेश यादव द्वारा 'जनता दर्शन' कार्यक्रम को पुनर्जीवित करना क्या अखिलेश का नाटक  मात्र था या अखिलेश की  जनता की समस्याओं का समाधान करने की वास्तविक चिंता ? आज तीन साल बाद क्या अखिलेश  यह बताने की स्थिति में हैं कि उन्होंने  कितने जनता दर्शन कार्यक्रम किये और इन कार्यक्रमों से कितने लोगों की समस्याओं का हल निकला है?
 
 
सत्ता में आते  ही अखिलेश ने घोषणा की थी कि  'जनता दर्शन' कार्यक्रम प्रत्येक सप्ताह हर बुधवार को होगा परन्तु 18 अप्रैल को हुए पहले जनता दर्शन के बाद ही 23 अप्रैल  2012 को 'जनता दर्शन' कार्यक्रम में बदलाव करते हुए इनको आधा कर दिया और ऐलान किया कि अब वह  हर महीने के पहले और तीसरे बुधवार को जनता दर्शन कार्यक्रम आयोजित कर आम जनता की समस्याएं सुनेंगे। उस समय अखिलेश यादव और समाजवादी सरकार ने जनता दर्शन को लेकर अनेकों घोषणाएं करते हुए  प्रदेश की जनता को सुहावने सब्जबाग़ दिखाए थे l
 

यह बात अलग है कि सूबे की जनता के लिए जनता दर्शन महज  'ऊंची दुकान, फीका पकवान' ही साबित हुआ और  लखनऊ की आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा  की  एक आरटीआई के जबाब से स्पष्ट हुआ था कि पहले साल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बहुचर्चित और बहुप्रचारित जनता दर्शन कार्यक्रमों में जनता की तकलीफों के दस्तावेज रूपी एप्लिकेशन में से सिर्फ 26 प्रतिशत अर्जियों का ही निपटारा हो सका था । तब मुख्यमंत्री के सचिव आलोक कुमार ने उर्वशी को बताया था  कि 15-03-12 से 14-03-13 तक की अवधि में माo मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित जनता दर्शन में कुल 22,872 पत्र प्राप्त हुए एवं 6,069 मामले निस्तारित किये गये और इस प्रकार निस्तारित अर्जियों का प्रतिशत कुल का करीब 26 प्रतिशत ही था  जो जनता की अपेक्षाओं के हिसाब से बेहद निराशाजनक था ।
 
 
बेहद जोरशोर से और लम्बे चौड़े बादों के साथ शुरू किये गए जनता दर्शन कार्यक्रमों की हकीकत जानने के लिए मैंने मुख्यमंत्री कार्यालय में एक आरटीआई दायर की थी जिसका जबाब प्रदेश के दूर दराज क्षेत्रों के लोगों की  आर्थिक मदद, विकास कार्यों, पेंशन भुगतान, विकलांगों की समस्याएओं, ऋण उगाही पर रोक, पुलिस उत्पीडन, जमीन से सम्बंधित विवाद, नौकरी,कानून-व्यवस्था जैसे संवेदनशील मामलों की शिकायतों का समाधान कर उनको न्याय दिलाने की एक बहुत बड़ी उम्मीद के रूप में प्रचारित और  अखिलेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना की ढोल की पोल उजागर कर रहा है   l जनता दर्शन कार्यक्रम की घोषणा करते हुए अखिलेश ने कहा था कि वे इन कार्यक्रमों द्वारा अपनी पूर्ववर्ती सीएम मायावती के जनता से दूरी रखने से उलट जनता के पास रहेंगे पर आरटीआई से उजागर हक़ीक़त अखिलेश को झूंठा साबित कर रही है l
 
 
 
मेरी आरटीआई के जबाब में मुख्यमंत्री सूचना परिसर एनेक्सी के सहायक निदेशक और प्रभारी यशोवर्धन तिवारी ने बताया  है कि  अखिलेश यादव ने I5 मार्च 2012 से 20 फरवरी  2015 तक की तीन साल की अवधि में मात्र 10 जनता दर्शन कार्यक्रमों का आयोजन किया है l पहला जनता दर्शन 18-04-2012  को हुआ था और उसके बाद के  9 जनता दर्शन 02-05-2012,05-09-2012,03-10-2012,07-11-2012,03-04-2013,05-06-2013,03-07-2013,04-09-2013 और  05-02-2014 को हुए l  अंतिम कार्यक्रम 'जनता का दरबार' नाम से हुआ था l इस प्रकार पिछले एक साल में कोई जनता दर्शन कार्यक्रम हुआ ही नहीं है l
 
 
अगर हम अखिलेश की घोषणाओं के हिसाब से भी देखें तो जिस अवधि में 66 जनता दर्शन होने थे वहां मात्र 09 ही हुए हैं जो 13.63 प्रतिशत है l  मेरा सबाल है यदि जनकल्याणकारी कार्यक्रमों के प्रति मुख्यमंत्री स्वयं मात्र    13.63 प्रतिशत ही गंभीर हैं तो ऐसे में  सूबे की नौकरशाही और अन्य लोकसेवकों से क्या उम्मीद की जाये l  मेरा  मानना है  कि  शायद यही कारण  है कि संसाधन होते हुए भी  सूबे की जनता त्रस्त है और यूपी विकास की राह में पिछड़ रहा है.
 
 
 
मेरा सबाल यह भी है कि जनता की सेवा करने के नाम पर सत्ता पाने बाले अखिलेश यादव यानि हमारी यूपी के 'समाजवादी' सीएम को जनता दर्शन तो  कज़ा जैसा लगता है पर  विदेशी यात्राओं में बड़ा  मज़ा आता है l  शायद यही कारण है कि अखिलेश यादव 3 साल में  4 -7   दिनों की लम्बी अवधि बाली 5 विदेश यात्राएं तो मजे से कर लेते हैं पर  2 -4  घंटों की अल्प अवधि बाले  मात्र 10 जनता दर्शन  कार्यक्रम कर पाते हैं l क्या मैं इसे  7 स्टार अखिलेशी समाजवाद समझूँ कि  जनता दर्शन में पस्त अखिलेश विदेश यात्राओं में मस्त हैं और   'अखिलेश' के दर्शन 'जनता' से दूर हो गए हैं l
 
सीएम अखिलेश अभी अपनी पत्नी डिंपल के साथ फ्रांस में हैं l अखिलेश इससे पहले भी जर्मनी,नीदरलैंड,स्विट्ज़रलैंड समेत अमेरिका की हॉवर्ड यूनिवर्सिटी की उस यात्रा पर भी जा चुके हैं जिस पर खर्च तो एक करोड़ से अधिक आया पर अखिलेश ने उस कार्यक्रम का वहिष्कार स्वयं ही कर दिया था l जनता की  समस्याओं से दूर रहकर  कभी फूल,कभी इत्र,कभी सब्जी, कभी कुम्भ जैसे मुद्दों पर विदेश घूम-घूम कर यूपी की जनता को कब तक गुमराह कर पाएंगे आखिर 2017 भी तो नज़दीक ही है l 
 
 
 
फूल,इत्र,सब्जी, कुम्भ जैसे मुद्दों  वेहतरी की संभावनाएं भारत में भी हैं बस जनता की समस्याएं सुलझाएं अखिलेश क्योंकि उत्तर प्रदेश अखिलेश के विदेश  घूमने से नहीं , अपितु यूपी में रहकर आम जनता की जमीनी समस्याएं सुलझाने से ही उत्तम प्रदेश बनेगा, ऐसा मेरा मानना है l 
 
 
संजय शर्मा
संस्थापक अध्यक्ष – तहरीर
Mobile 8081898081

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Posted by: urvashi sharma <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
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