Tuesday, September 15, 2015

[rti4empowerment] महाराष्ट्र सरकार के ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का हनन करने बाले सर्कुलर के विरोध में मुँह पर काली पट्टी बांधकर समाजसेवियों का लखनऊ में धरना l

 

महाराष्ट्र सरकार के 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' का हनन करने बाले सर्कुलर के विरोध में मुँह पर काली पट्टी बांधकर समाजसेवियों का लखनऊ में धरना l 
 
पूरी खबर पढने के लिए तहरीर नामक ब्लॉग की इस लिंक को क्लिक करें : http://tahririndia.blogspot.in/2015/09/l.html
 
लखनऊ/15 सितम्बर 2015/ समाजसेवियों ने बीते कल सामाजिक संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान के बैनर तले लखनऊ के हजरतगंज जीपीओ के निकट स्थित महात्मा गांधी पार्क में मुँह पर काली पट्टी बांधकर महाराष्ट्र सरकार के 'सरकार और जनप्रतिनिधियों की आलोचना पर देशद्रोह' के सर्कुलर को अलोकतांत्रिक बताते हुए इस सर्कुलर का विरोध करते हुए धरना दिया और यूपी के राज्यपाल सचिवालय के माध्यम से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर वर्तमान अस्पष्ट शासन परिपत्रक क्रमांक फौरिया ०४१५/१२७२/ प्र. करा. ६३ /विशा १ अ दिनांक २७ अगस्त २०१५ को निरस्त कर कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी मामले की क्रिमिनल जनहित याचिका संख्या 03/2015 में दिनांक 17 मार्च 2015 को उच्च न्यायालय मुंबई द्वारा पारित  आदेश के अनुरूप सही व स्पष्ट सर्कुलर जारी करने की मांग की l
 
धरने का नेतृत्व देश की अग्रणी सामाजिक और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने किया l धरने में तनवीर अहमद सिद्दीकी, सैयद अलीम कादरी, ज्ञानेश पाण्डेय,होमेंद्र कुमार मिश्रा,संजय आजाद,हरपाल सिंह, राम स्वरुप यादव,अरुण कुमार पाण्डेय,दुर्गा बक्स सिंह,प्रदीप कुमार पाण्डेय समेत अनेकों समाजसेवियों ने हिस्सा लेकर अपना विरोध प्रगट किया l 
 
इस बारे में बात करते हुए येश्वर्याज की सचिव उर्वशी ने बताया कि महाराष्ट्र राज्य की सरकार ने बीते 27 अगस्त को शातिराना ढंग से एक ऐसा अस्पष्ट फरमान जारी कर दिया है जिससे महाराष्ट्र में अब किसी भी जनप्रतिनिधि और सरकार की आलोचना मात्र  करने पर ही पुलिस उस व्यक्ति के विरुद्ध बड़े आराम से देशद्रोह से जुड़ी  भारतीय दंड संहिता ( आईपीसी ) की धारा 124-ए के तहत कार्यवाही कर सकती है l सरकारी सर्कुलर के मुताबिक सरकार और जनप्रतिनिधियों यानी किसी मेयर, विधायक, सांसद आलोचना पर पुलिस देशद्रोह की धाराएं लगा सकती हैं l उर्वशी ने कहा कि महाराष्ट्र  सरकार का यह सर्कुलर 'अभिव्यक्ति की आजादी' के संवैधानिक मूल अधिकार को तो प्रतिबंधित कर ही रहा है साथ ही साथ इस  सर्कुलर ने नेताओं और अधिकारियों के भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के  खिलाफ आवाज़ उठाने बाले जागरूक नागरिकों को सरकार द्वारा पुलिस के माध्यम से उत्पीडित करने के नए द्वार खोल दिए है l उर्वशी के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार के इस कदम से भ्रष्ट नेता और अधिकारी पूरी तरह से निरंकुश जायेंगे और किसी नेता, मंत्री, विधायक, पंचायत या नगरपालिका प्रतिनिधि या फिर आईएएस अधिकारी के भ्रष्टाचार में लिप्त होने या उसके द्वारा कोई अन्य अपराध करने पर  एक आम नागरिक का उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराना भी संभव नहीं रह जायेगा l
 
आंकड़ों का हवाला देते हुए उर्वशी ने कहा कि महाराष्ट्र में पिछले दस साल में दस आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है और 60 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमले भी हुए हैं l  यही नहीं, नरेंद्र दाभोलकर और गोविन्द पनसारे जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी महाराष्ट्र में ही अन्याय के खिलाफ लड़ने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी हैl ये आंकड़े बताते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वालों के लिए महाराष्ट्र देश का सबसे असुरक्षित राज्य बनता जा  रहा है परन्तु महाराष्ट्र सरकार ऐसे लोगों को सुरक्षित माहौल देने के बजाय ठीक इसके उलट काम कर रही हैl  उर्वशी ने बताया कि महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो में नेताओं-नौकरशाहों के खिलाफ 400 से अधिक मामले दर्ज होने की औपचारिकता से आगे नहीं जा पाए हैं और अब इस सर्कुलर के बाद तो भ्रष्टाचारों के मामले दर्ज होने की  औपचारिकता तक भी नहीं पंहुच पाएंगे l
 
सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार तनवीर अहमद सिद्दीकी ने भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए मीडिया का विकल्प चुनने पर भी प्रतिवंध लगाने के इस कदम की भर्त्सना करते हुए इसे इन दिशा-निर्देशों को लोकतंत्र विरोधी और खतरनाक बताया
 
समाजसेवी राम स्वरुप यादव और हरपाल सिंह ने  इस सर्कुलर को लोकतंत्र का गला घोंटने की सरकारी साजिश करार देते हुए सरकार की निंदा की
समाजसेवी और आरटीआई एक्टिविस्ट संजय आजाद ने आतंकवाद से लड़ने के लिए आवश्यक बतायी जाने बाली आईपीसी की धारा 124A का प्रयोग समाजसेवियों की अभिव्यक्ति की आजादी को छीनने के लिए किये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और महाराष्ट्र सरकार के इस कदम की भर्त्सना की
 
धरने का समापन करते हुए उर्वशी ने छत्तीसगढ़ के मानवाधिकार कार्यकर्ता विनायक सेन के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि क्योंकि धारा 124A  के दुरूपयोग के कई मामले सामने आए हैं जिनमें समाज के उत्थान के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं को नाहक ही निशाना बनाया गया है अतः उनका संगठन औपनिवेशिक शासन के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों के दमन के लिए तैयार की गयी धारा 124A  में जरूरी संशोधन किए जाने के लिए अलग से एक अभियान चलाएगा ।
 

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Posted by: urvashi sharma <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
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