गैर सरकारी संगठन इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एण्ड डाक्यूमेटेशन इन सोशल साइन्सेंस (आईआरडीएस) , लखनऊ द्वारा वर्ष 2011 के लिये छह क्षेत्रों में विशिष्ट उपलब्धियां हासिल करने वाले युवाओं को आईआरडीएस अवार्ड प्रदान किये जा रहे हैं. ये क्षेत्र हैं- मैनेजमेंट, चिकित्सा तथा स्वास्थ्य, शासकीय सेवा, पत्रकारिता , मानव अधिकार तथा विधि एवं न्याय. इन क्षेत्रों में पुरस्कृत व्यक्तियों के नाम हैं- कौशलेन्द्र (मैनेजमेंट- मंजुनाथ शंमुगम पुरस्कार), डॉ मिलिंद देवगांवकर ( चिकित्सा- आनंदी बाई जोशी पुरस्कार), अमिताभ ठाकुर (शासकीय सेवा- सत्येन्द्र दुबे पुरस्कार), दीपक आज़ाद (पत्रकारिता- सुरेन्द्र प्रताप सिंह पुरस्कार) , डॉ प्रणव भागीरथ (मानव अधिकार- सफदर हाशमी पुरस्कार) तथा संदीप कुमार (विधि- वी एन शुक्ला पुरस्कार).
कौशलेन्द्र आईआईएम अहमदाबाद के 2007 बैच के टॉपर हैं जिन्होंने किसी मल्टीनेशनल में नौकरी नहीं कर के समृद्धि तथा कौशल्या फाउन्डेशन के माध्यम से भारतीय परिस्थितियों में उचित दर पर सब्जी बेचने सम्बंधित कार्य प्रारम्भ किया है जिससे आम सब्जी विक्रेताओं का भला हो. डॉ मिलिंद देवगांवकर क्लीवलैंड क्लिनिक फाउन्डेशन, अमेरिका में न्यूरोसर्जरी विभाग में कार्यरत हैं. रीनल न्युरोमोड्यूलेशन, न्युरोजेनिक डिसफंक्शन आदि के क्षेत्र में इनके कुल सात पेटेंट्स अब तक हो चुके हैं तथा स्पाइनल इंज्यूरी पर इनके विशेष आनुसंधानिक कार्य है. अमिताभ ठाकुर 1998 बैच के उड़ीसा कैडर के एक आईपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने डीसीपी भुवनेश्वर के रूप में अनन्य प्रतिष्ठा अर्जित की तथा ीबीआई में महाराष्ट्र में एक दोहरी हत्या का खुलासा करते हुए एनसीपी सांसद की गिरफ़्तारी और सोहराबुद्दीन मुठभेड़ में गुजरात के पूर्व गृह मंत्री की गिरफ्तारी में प्रमुख भूमिका निभाई. दीपक आज़ाद देहरादून के एक युवा और जुझारू स्वतंत्र पत्रकार हैं जो विपरीत परिस्थितियों, धमकियों और प्रलोभनों के बाद भी अनवरत अपने सिद्धांतों और आदर्शों पर खड़े रहे और उसके लिए व्यक्तिगत हितों को सीधे तौर पर कुर्बान किया. पेड न्यूज़ के विरोध में इनके प्रयास काफी सराहे गए हैं. डॉ प्रणव भागीरथ एम्स्टरडम, नीदरलैंड के छब्बीस वर्षीय युवा एमबीबीएस डॉक्टर हैं जो अपने देश से गहरे से जुड़े हैं और प्रे संस्था के माध्यम से उत्तराँचल में जमीनी तौर पर कई सारे सराहनीय कार्य कर रहे हैं. संदीप कुमार पटना हाई कोर्ट के एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता हैं जो गरीब और जरूरतमंद लोगों को न्याय दिलाने के अपने प्रयास में अनवरत लगे रहते हैं. इसके साथ ही वे आम लोगों से सरोकार रखने वाली जनहित याचिकाएं भी करते हैं जिनमे उनकी नक़ल मुक्त बोर्ड परीक्षा तथा शेखपुरा इलाके में सरकार द्वारा अवैध तरीके से लोगों का भूमि अधिगृहित करने सम्बंधित याचिकाएं विशेष सराही गयीं. ये पुरस्कार ऐसे व्यक्तियों के नाम पर रखे गए हैं जिनकी मृत्यु अल्प अवस्था में ही तब हो गयी थी जब वे अपने कार्यों के चोटी पर थे और उनसे अभी बहुत कुछ अपेक्षित था. ये पुरस्कार इसी आशा तथा विश्वास के साथ प्रदान किये जा रहे हैं कि ये पुरस्कृत लोग इन महान् व्यक्तियों की बीच में ही टूट गयी संभवनाओं को पूरा करेंगे. ये सभी पुरस्कृत लोग ऐसे हैं जिनकी आयु 28 फरवरी 2011 को 45 वर्ष से कम थी. |
Thursday, March 10, 2011
[rti4empowerment] आईआरडीएस पुरस्कार 2011
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